बजट 2025: ड्राई फ्रूट व्यापारियों की सरकार से आयात शुल्क घटाने और जीएसटी कम करने की मांग
नई दिल्ली। देश के सूखे मेवे व्यापारियों के प्रमुख संगठन, नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एनडीएफसी) ने आगामी बजट 2025 में सरकार से कई राहतकारी कदम उठाने का आग्रह किया है। इनमें अखरोट पर आयात शुल्क को प्रति किलोग्राम के आधार पर युक्तिसंगत बनाना, जीएसटी दर को 18% से घटाकर 5% करना और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना लागू करना शामिल है।
ड्राई फ्रूट उद्योग के लिए बड़े कदमों की जरूरत: एनडीएफसी
एनडीएफसी के अनुसार, भारतीय सूखे मेवे का बाजार 18% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है और 2029 तक 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इसके बावजूद, उद्योग को उच्च आयात शुल्क और भारी जीएसटी का सामना करना पड़ता है, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ता है।
अखरोट पर आयात शुल्क के पुनर्गठन का सुझाव
एनडीएफसी के अध्यक्ष गुंजन वी. जैन ने अखरोट पर मौजूदा 100% आयात शुल्क को बदलकर प्रति किलोग्राम शुल्क लागू करने का सुझाव दिया है। उन्होंने बादाम के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की तर्ज पर अखरोट पर 150 रुपये प्रति किलोग्राम शुल्क निर्धारित करने का अनुरोध किया।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की अपील
भारत अपने अखरोट आयात के लिए अमेरिका और चिली पर निर्भर है। परिषद ने सरकार से घरेलू उत्पादन क्षेत्रों के विस्तार के लिए सब्सिडी बढ़ाने और स्थानीय किसानों को प्रोत्साहन देने की मांग की है। भारत का 90% अखरोट उत्पादन कश्मीर में होता है, जिसे और अधिक सब्सिडी और समर्थन की आवश्यकता है।
जीएसटी घटाने की मांग
एनडीएफसी ने नट्स पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने का अनुरोध किया है। संगठन ने तर्क दिया है कि ड्राई फ्रूट्स के स्वास्थ्य लाभ और उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, उन्हें सस्ता और सुलभ बनाना आवश्यक है।
पीएलआई योजना लागू करने की सिफारिश
संगठन ने छोटे और मध्यम स्तर के ऑपरेटरों को ध्यान में रखते हुए ड्राई फ्रूट उत्पादन के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना शुरू करने की भी सिफारिश की है।
दूसरा मेवा इंडिया ट्रेड शो: मुंबई में आयोजन
एनडीएफसी ने 11-14 फरवरी को मुंबई में आयोजित होने वाले "मेवा इंडिया ट्रेड शो" के दूसरे संस्करण की भी घोषणा की है। इस आयोजन का उद्देश्य सूखे मेवे उद्योग को बढ़ावा देना और इसके प्रमुख मुद्दों को संबोधित करना है।
सरकार से उद्योग को राहत की उम्मीद
बढ़ते बाजार और स्वास्थ्य लाभ के बावजूद, भारतीय सूखे मेवे उद्योग उच्च आयात शुल्क और टैक्स की वजह से दबाव में है। आगामी बजट 2025 में इन प्रस्तावों पर विचार करना उद्योग के लिए राहतकारी कदम साबित हो सकता है।