चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण करके भारत ने फिर से रचा इतिहास
भारत बीते नौ वर्षो में अनवरत हर क्षेत्र में दुनिया को पीछे छोड़ता चला जा रहा है। दरअसल चाहे खेल हो या सेना या फिर अर्थव्यवस्था हो अंतरिक्ष, कमोबेश भारत ने हर क्षेत्र में अपनी मेधा के दम पर दुनिया से दो कदम आगे चलकर दिखाया है। गौरतलब हूँ कि आज भारत ना सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिहाज से दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शुमार हो चुका है, अपितु अंतरिक्ष में भी भारत ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर नया कीर्तिमान हासिल किया है। इसी कड़ी में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और नया कीर्तिमान स्थापित करने की ओर अपने कदम बढ़ा दिए है। गौरतलब हूँ कि गुजरी 14 जुलाई को भारत ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केद्र से अपना मिशन चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा के लिए प्रक्षेपित किया है। नतीजतन यदि मिशन चंद्रयान 3 का चांद पर सफलतापूर्वक प्रक्षेपण और लैंडिंग हो गई तो दुनिया में एक और कीर्तिमान भारत के नाम जुड़ जायेगा|
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र श्रीहरिकोटा से बीते 14 जुलाई को मिशन चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया है। दरअसल इसरो की ओर से चंद्रमा के लिए प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 को अगले महीने की पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना है। इसके अलावा मिशन चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में 42 दिन की यात्रा के उपरांत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करनी है। ऐसे में यदि चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होती है तो, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के नाम एक और नया कीर्तिमान जुड़ जाएगा। दरसअल चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना चंद्रयान भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। गौरतलब हो कि अभी तक दुनिया का कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना चंद्रयान नहीं भेज पाया है। ऐसे में यदि भारत की ओर से भेज गए चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होती है तो भारत के खाते में एक नया अंतरिक्ष कीर्तिमान जुड़ जाएगा।
भारत के मिशन चंद्रयान-3 की सफलता पूरी दुनिया के लिए रोमांचकारी
दरअसल भारत का अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होने के साथ साथ बहुत ही रोमांचकारी साबित होगा। इतना ही नहीं भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया भर के देशों की निगाहें भी टिकी हुई है। दरअसल भारत के चंद्रयान-3 मिशन का उद्वेश्य चांद पर जाकर वहां पर अपने रोवर की सफट लैंडिंग करने के अलावा उसके चारो ओर भ्रमण करता है। इसके अलावा मिशन चंद्रयान-3 का उद्वेश्य चंद्रमा पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को भी संचालित करना है। इसके साथ ही भारत के मिशन चंद्रयान-3 के चांद पर जाने का उद्वेश्य चंद्रमा की संरचना, भूविज्ञान, और चद्रमा के रहस्यों पर फोकस करते हुए उसे जानने का प्रयास भी करना है। ऐसे में दुनिया के बड़े देश मसलन अमेरिका, चीन और रूस की भी निगाहें इस बात पर टिकी है कि भारत ने चंद्रयान-3 के द्वारा चंद्रमा के संबंध कौन कौन सी नई जानकारियां व तथ्य हासिल किए हैं। नतीजतन भारत का अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि समूचे विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
नौ वर्षो में भारत ने अंतरिक्ष से जुड़े कई कीर्तिमान हासिल किए
बीते नौ वर्षो में भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में अंतरिक्ष से जुड़ी कई उपलब्धियां हासिल की है। दरसअल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने अभी तक कुल 424 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे हैं। इसमें 389 उपग्रह अकेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भेजे गएं हैं। ऐसे में आप आसानी से अंदाजा लगा सकतें हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कितना बेहतर कार्य किया है। इसके अलावा इसरो ने 2014 के बाद से अब तक कुल 44 अंतरिक्ष मिशन, 42 अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण और पांच प्रौद्योगिकी मिशन भी सफलतापूर्वक पूरे किए है। जबकि सितंबर 2015 में भारत की ओर से पीएसएलवी एस्ट्रोसेट लांच किया गया। इस दौरान ऐस्ट्रोसेट ने अंतरिक्ष में पांच नई आकाशगंगाओं को खोजकर भारत के नाम अंतरिक्ष से जुड़ा एक और कीर्तिमान जोड़ दिया। इस लिहाज से यदि यह कहा जाए कि भारत अब धरती के अलावा अंतरिक्षा में भी दुनिया के देशों से आगे निकल रहा है तो इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।
मंगल ग्रह पर भी सफलतापूर्वक अपना अंतरिक्ष यान भेज चुका है भारत
दरअसल भारत ने ना सिर्फ चंद्रमा पर बल्कि मंगल ग्रह पर भी सफलतापूर्वक अपने अंतरिक्ष यान को भेजकर इतिहास रच चुका है। गौरतलब हूँ कि भारत ने सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री की शपथ लेने के कुछ ही दिन बाद इसरो ने अपने अंतरिक्ष यान मार्स आर्बिट का मंगल ग्रह पर सफल प्रक्षेपण किया था। इस दौरान मंगल ग्रह पर भारत ने अपने अंतरिक्ष यान भेजकर मंगल ग्रह पर पानी की उपलब्धता, वहा की जलवायु की जानकारी के अलावा अन्य कई वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में जानकारी भी हासिल की थी। ऐसे में भारत ने निश्चित तौर पर साल 2014 के बाद अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बेहतर कार्य किए है। इसके अलावा मंगल ग्रह पर अपने अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के बाद भारत भी अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों की कतार में शामिल हो चुका है।
भारत ने किया सिंगापुर के सात उपग्रहों का भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने हाल ही में सिंगापुर के सात उपग्रहों को हाल ही में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के साथ ही उन्हें अपनी अपनी कक्षाओं में स्थापित किया है। दरअसल भारत ने सिंगापुर के सात उपग्रहों को अपने भरोसेमंद पीएसएलवी राकेट के जरिए अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। गौरतलब हूँ कि भारत के द्वारा 29 जुलाई, शनिवार को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद, श्री हरिकोटा से सिंगापुर के सात उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। ऐेसे में मिशन चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद भारत ने सिंगापुर के सात उपग्रहों का सफल तापूर्वक प्रक्षेपण करके एक अलग कीर्तिमान बनाया है। ऐसे में इस मिशन की सफलता भी इसरो की कड़ी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम है।
आर्टिकल समरी- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र श्री हरिकोटा से बीते 14 जुलाई को मिशन चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया है। दरअसल इसरो की ओर से चंद्रमा के लिए प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 को अगले महीने की पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना है। इसके अलावा मिशन चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में 42 दिन की यात्रा के उपरांत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करनी है। ऐसे में यदि चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होती है तो, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के नाम एक और नया कीर्तिमान जुड़ जाएगा।
मनीष कुमार गुप्ता
(वरिष्ठ पत्रकार)
9810771477