वकील की हत्या: सुबह धमकी- तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर दूंगा, दोपहर में हत्या, सीसीटीवी देखकर बहन बोली- मेरा पति हत्यारा है

Update: 2023-08-31 05:34 GMT

गाजियाबाद के तहसील सदर में बुधवार दोपहर करीब दो बजे दो नकाबपोश हमलावरों ने चैंबर में घुसकर वकील मनोज चौधरी उर्फ मोनू (38) की गोली मारकर हत्या कर दी। तहसील में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद बदमाश आसानी से पैदल ही भाग निकले।

इस दौरान वह सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए. हत्या के पीछे मोनू के जीजा एडवोकेट अमित डागर, उनके भाई एडवोकेट नितिन डागर और उनके परिवार के सदस्यों से विवाद सामने आया है। मोनू की पत्नी कविता ने सिहानी गेट थाने में उसके खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है।गाजियाबाद में मनोज चौधरी की बहन सरिता का कहना है कि फुटेज में दिख रहे दो लोगों में से एक उनके पति अमित डागर हैं और दूसरे जीजा नितिन डागर हैं. दोनों ने हत्या की है. ये दोनों ही वकील हैं. साजिश में ससुर मदन व दो अन्य अनुज व पालू शामिल हैं. मनोज की पत्नी कविता ने इन्हीं लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है।

सरिता ने बताया कि वह 24 जून से अपने मायके में रह रही है. अमित ने चार दिन पहले भाई को जान से मारने की धमकी दी थी। बुधवार की सुबह भी उसने उसे फोन कर कहा, मैं तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर दूंगा। अमित चिरंजीव विहार का निवासी है और नोएडा में प्रैक्टिस करता है। नितिन गाजियाबाद की तहसील सदर में ही प्रैक्टिस करता है। मनोज 2008 से वकालत कर रहे थे। उनके पिता रणजीत सिंह सब-इंस्पेक्टर थे। उनका निधन हो चुका है.

तीन टीमों का हुआ गठन

एडिशनल पुलिस कमिश्नर दिनेश कुमार पी. ने बताया कि हत्यारों को पकड़ने के लिए तीन टीमें गठित की गई हैं. प्रारंभिक जांच में पारिवारिक विवाद सामने आया है।

अमित ने 15 जनवरी को अपनी पत्नी, बच्चे और मां पर गोली चला दी थी.

15 जनवरी को शराब के नशे में अमित ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से पत्नी, बच्चों और मां पर फायरिंग कर दी थी. एक गोली उसकी माँ को लगी। अमित उस मामले में जेल जा चुका है. अमित के पिता ने कविनगर थाने में  केस दर्ज कराया था. अमित की पिस्तौल पुलिस के कब्जे में है.

पुलिस ने इस मामले में 10 फरवरी को आरोप पत्र दाखिल किया था. सरिता ने बताया कि इसके बाद वह अपने मायके आ गयी. समझौते के बाद वह 16 अप्रैल को दोबारा ससुराल चली गई। फिर भी पति की आदतों में सुधार नहीं हुआ. जब उसने फिर से उसके साथ मारपीट शुरू कर दी तो वह 24 जून को अपने माता-पिता के घर आ गई। उसके एक बेटा और एक बेटी है। बेटा अपने पिता के साथ रहता है और बेटी उसके पास रहती है।

राखी पर छीन गया चार बहनों का इकलौता भाई

मनोज चौधरी अपनी चार बहनों सरिता, सपना, कल्पना और ज्योति के इकलौते भाई थे. घर में रक्षाबंधन की तैयारियां चल रही थीं। सरिता ने बताया कि 31 अगस्त को सभी बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती थीं। लेकिन, उसके पहले ही पति ने भाई की हत्या कर दी. घटना के चश्मदीद मुनेश त्यागी ने बताया कि वह अपने चैंबर (नंबर 95) में मनोज चौधरी और दो मुंशी के साथ बैठे थे. मनोज खाना खा रहे थे। तभी दो युवक दाखिल हुए। एक ने मनोज के पास आकर कनपटी पर गोली मार दी। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते हमलावर भाग गये।घटना बमुश्किल 30 सेकंड में घटी. मनोज की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि हमलावरों ने अपनी बाइक तहसील परिसर में ही खड़ी की थी। वहां तक पैदल पहुंचे. इसके बाद बाइक से भाग निकले। गोविंदपुरम के रहने वाले मनोज चौधरी तहसील बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव थे।

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