हिन्दी पूरे भारत को एक सूत्र में पिरो सकती है- आर्य रवि देव गुप्ता
-आर्य समाज को विश्व पटल पर कार्य योजना देनी होगी- विमल चड्ढा, नेरोबी
-सनातनी बनना चाहते हैं तो वेद से जुड़ना होगा- विष्णु मित्र वेदार्थी
गाजियाबाद। केंद्रीय आर्य युवक परिषद के 47वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आज शनिवार को आयोजित "त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आर्य महावेबिनार" के दूसरे दिन का आयोजन ऑनलाइन जूम पर संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक विद्वान आचार्य अखिलेश्वर (हरिद्वार) ने राष्ट्र रक्षा यज्ञ से किया, जिसमें 101 परिवारों ने एक साथ यज्ञ में भाग लिया।
इस दौरान मुख्य वक्ता रवि देव गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता रखती है। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए हिंदी के सम्मान और पंच महायज्ञों की महत्ता पर जोर दिया।
प्रवासी सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए नेरोबी से विमल चड्ढा ने कहा कि आर्य समाज को विश्व पटल पर अपनी कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी। उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान को विश्व में फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
थाईलैंड से एस.पी. सिंह ने कहा कि आज आर्य समाज को वैश्विक समस्याओं को पहचानकर उनके समाधान देने की जरूरत है।
यूएसए से राजेंद्र बेदी ने स्वामी दयानंद के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी, जबकि मुख्य वक्ता आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने कहा कि सनातन से जुड़ना है तो वेद ज्ञान अपनाना होगा। वेद ज्ञान का आधार परमेश्वर है और यह सनातन का मूल है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने समाज की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के माध्यम से आर्य समाज को विश्व में नेतृत्व प्रदान करने की बात कही। योगी प्रवीण आर्य ने यज्ञ, योग, और ध्यान को जीवन का अभिन्न अंग बनाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में महामंत्री महेंद्र भाई और अन्य प्रमुख वक्ताओं ने भी मार्गदर्शन दिया। गायिका पिंकी आर्या और अन्य कलाकारों ने अपने गीतों से कार्यक्रम में आध्यात्मिकता का समावेश किया।