खास मुखड़े -बंद अरसे से पड़ीं वह खिड़कियाँ खोलो / तोड़कर चुप्पी चलो कुछ तो हँसो बोलो । जब अपनो ने दे दिये, ऐसे ऐसे घाव। मनोचिकत्सक क्या करें, कैसे समझें भाव ॥टपके हरदम झोपड़ी,जब भी हो बरसात। पक्की-छत को...