अब तक मणिपुर में क्यों नहीं लगा राष्ट्रपति शासन
पहली बार मणिपुर में 31 दिसंबर 1993 को राष्ट्रपति शासन लगा। जो अगले साल 13 दिसंबर 1994 तक जारी रहा तब जाकर मणिपुर शांत हो पाया।
70 हजार लोग बेघर हो गए। 5 हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाएं हुई। करीब डेढ़ सौ लोगों की मौत। कई महिलाओं के साथ बर्बरता और निर्वस्त्र कर घुमाया भी गया। यह सब हुआ है भारत के 1 राज्य मणिपुर (Manipur) में। मैतई (Maitai) और कुकी (Kuki) दोनों ही एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। पर ना तो मुख्यमंत्री का इस्तीफा हुआ ना राज्य में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लगा।
3 महीने से भी ज्यादा समय तक जल रहा मणिपुर इसके बावजूद राष्ट्रपति शासन (President Rule) की मांग क्यों नहीं होती? क्या है कारण और कब कब हुई है मणिपुर (Manipur) में हिंसा आइए जानते हैं 1993 पहली बार जब मणिपुर (Manipur) में एक ओर था मुस्लिम पंगल समाज और मैतई हिंदू दोनों लड़ रहे थे वहीं दूसरी ओर कुकी और नागा समुदाय। 3 मई 1993 को मुस्लिम और हिंदू के बीच हिंसा शुरू हुई और 5 मई को खत्म हो गई। इस 2 दिन की हिंसा में करीब 130 लोग मारे गए। इसी साल जनवरी में इम्फाल से 40 किलोमीटर दूर नागाओं के गांव सदुखरोई में कुकी समुदाय ने हमला कर दिया। जिससे हिंसा विकराल रूप में बदल गई। मणिपुर की पहाड़ियां नागा और कुकी के खून से लाल हो गई।
13 सितंबर को नागा आतंकियों ने 100 कुकियों को मौत के घाट उतार दिया। सितंबर आते-आते मरने वालों की संख्या 400 हो गई। जब हालात बद से बदतर हो गए तो खुद मुख्यमंत्री दोरेन्द्र सिंह ने केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की। जिसके बाद पहली बार मणिपुर में 31 दिसंबर 1993 को राष्ट्रपति शासन लगा। जो अगले साल 13 दिसंबर 1994 तक जारी रहा तब जाकर मणिपुर शांत हो पाया।
अब जान लेते हैं कि आखिर किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन
किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान के भाग 18 में लिखा गया है कि
आर्टिकल 355 के तहत केंद्र सरकार बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने के लिए किसी भी राज्य की रक्षा और कानून व्यवस्था को अपने हाथ ले सकती है।
संविधान के आर्टिकल 356 के तहत इन चार परिस्थितियों में किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
1 जब राज्य विधानसभा में कोई भी दल बहुमत सिद्ध ना कर सके तो
2 आपातकालीन स्थिति जैसे बाढ़, महामारी, युद्ध, हिंसा, प्राकृतिक आपदा और इन हालातों में अगर विधानसभा नहीं हो तो।
3 अगर सदन में सरकार बहुमत खो दें
4 अगर राज्यपाल राष्ट्रपति को या दोनों में से किसी एक को राज्य सरकार संविधान के अनुरूप शासन नहीं कर रही या उसके लिए असमर्थ है ऐसा लगा तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
आर्टिकल 365 जब किसी राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो जाए तो राष्ट्रपति अपने ताकत का इस्तेमाल करते हैं वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
अभी की परिस्थिति में ऊपर दिए गए कोई भी कारण लागू नहीं होने के कारण वहां राष्ट्रपति शासन नहीं लगाएगा साथी मुख्यमंत्री के साथ केंद्र के गृहमंत्री प्रधानमंत्री सभी लगातार परिस्थिति पर नजर लगाए हुए हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी मामले की गंभीरता को समझते हुए सरकार को परिस्थिति संभालने के लिए समय दे रही है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मणिपुर की समस्या का समाधान निकले और वहां फिर से एक बार शांति बहाल हो पाए।