दो नियमो के बिच फसी मणिपुर की चर्चा कौन से है वो नियम  

सरकार जहां अपने 31 कानून लाने की कोशिश में है। वही विपक्ष मणिपुर के विषय पर अडिग है। इस मामले में विपक्ष चर्चा चाहता है। पर दो नियमों के कारण यह चर्चा नहीं हो पा रही है।

Update: 2023-07-22 06:02 GMT

मणिपुर (Manipur) में महिलाओं के साथ हुई अभद्रता का विषय देश-विदेश ही नहीं बल्कि संसद (Parliament)में भी लगातार गूंज रहा है। पिछले 3 महीने से जल रहा मणिपुर (Manipur) और उसके बाद आया कुकी महिलाओं का वीडियो इसने सबको स्तब्ध कर दिया। इस मामले में विपक्ष चर्चा चाहता है। पर दो नियमों के कारण यह चर्चा नहीं हो पा रही है।

दरअसल विपक्ष चाहता है कि नियम 267 के तहत दोनों सदनों में चर्चा होनी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार (Central Govt.) का मानना है कि इस विषय पर नियम 176 के तहत चर्चा करना सही रहेगा। इस विषय में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को संसद में कहा कि, हमने संसद के नियम 267 के तहत संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने की मांग की है।

आखिर संसद के इन नियमों का मतलब क्या है? क्या वजह है जिससे सरकार और विपक्ष एक नियम के लिए अड़ गए हैं।1990 से 2016 तक 11 बार हो चुके जब अलग-अलग विषयों पर चर्चा करने के लिए राज्यसभा में नियम 267 का इस्तेमाल किया गया। आखरी बार 2016 में नोटबंदी के लिए इस इस नियम के तहत चर्चा की गई थी। सीधी-सादी भाषा में अगर समझ ना हो तो 267 का मतलब है कि पहले से निर्धारित सारे कामकाज या अजेंडे को रोककर किसी खास एक मुद्दे पर ही चर्चा की जाए। उसी विषय पर सरकार से सवाल पूछे जाते हैं और उसी विषय पर चर्चा भी होती है।

अब मान लीजिए कि अगर राज्यसभा में मणिपुर के महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के मामले पर सभापति ने 267 को मंजूरी दे दी। तो पूरे दिन भर सरकार और विपक्षी विषय पर चर्चा करेंगे इस नियम के तहत चर्चा करने के लिए सभापति की मंजूरी बेहद जरूरी होती है।

अब देखते हैं नियम 176 क्या कहता है। इस कानून के तहत सभापति राज्यसभा में किसी खास विषय पर चर्चा के लिए अल्पकालीन मंजूरी दे सकते हैं। राज्यसभा नियम 176 के तहत चर्चा की अनुमति मिलने के बाद ढाई घंटे तक उस खास विषय पर चर्चा हो सकती है। उसके लिए सदन में किसी भी सदस्य को एक नोटिस सदन में देना होता है और बताना होता कि आखिर क्यों इस विषय पर नियम 176 तर के तहत चर्चा की जाए।

इस पर कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। जिसके बाद सभापति चर्चा के लिए इजाजत देते हैं। अगर विपक्ष की बात मान ली जाए तो राज्यसभा में पूरे दिन केवल मणिपुर के विषय पर चर्चा होगी। वही सरकार की बात मानी जाए तो पूरे दिन में ढाई घंटे मणिपुर पर चर्चा की जाएगी जिसमें विपक्ष के सवाल और सरकार के जवाब शामिल होंगे। जिसके बाद निर्धारित एजेंडे पर काम करना होगा। सरकार जहां अपने 31 कानून लाने की कोशिश में है। वही विपक्ष मणिपुर के विषय पर अडिग है। 

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