मोदी सरकार ने प्याज का निर्यात शुल्क घटाया, खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने रिफाइन ऑयल के मूल शुल्क को 32.5% तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। बासमती चावल से न्यूनतम निर्यात शुल्क को हटाने का भी निर्णय लिया है। वहीं मोदी सरकार ने प्याज के निर्यात शुल्क को 40% से घटाकर 20% कर दिया है। साथ ही खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 0% से बढ़ाकर 20% कर दिया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पोस्ट में कहा है कि किसानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार ने रिफाइन ऑयल के लिए मूल शुल्क (बेसिक ड्यूटी) को 32.5% तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से रिफाइनरी तेल के लिए सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली की फसलों की मांग बढ़ेगी। किसानों को इन फसलों के बेहतर दाम मिल सकेंगे और साथ ही छोटे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रिफाइनरी बढ़ने से वहां रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों की प्रगति के प्रति संकल्पित मोदी सरकार ने प्याज के निर्यात शुल्क को 40% से कम कर 20% कर दिया है। निर्यात शुल्क के कम हो जाने से प्याज उत्पादक किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिलेंगे और प्याज का निर्यात भी बढ़ेगा। सरकार के इस निर्णय से किसानों के साथ प्याज से जुड़े अन्य सेक्टर्स को भी सीधा लाभ मिलेगा।किसान कल्याण के प्रति संवेदनशील मोदी सरकार ने बासमती चावल से न्यूनतम निर्यात शुल्क को हटाने का निर्णय लिया है। निर्यात शुल्क के हट जाने से बासमती उत्पादक किसानों को अपनी उपज के ठीक दाम मिलेंगे और बासमती चावल की मांग बढ़ने के साथ ही निर्यात में भी वृद्धि होगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान हितैषी मोदी सरकार ने किसान भाइयों-बहनों के हित में निर्णय लेते हुए खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 0% से बढ़ाकर 20% कर दिया है। अन्य उपकरणों को जोड़ने पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5% हो जाएगा। आयात शुल्क बढ़ाने से सोयाबीन के फसल की कीमतों में वृद्धि होगी और खाद्य तेल निर्माता भी घरेलू किसानों से फसल खरीदने के लिए प्रेरित होंगे। जिससे किसान भाइयों-बहनों को उनकी फसल के ठीक दाम मिल सकेंगे। इस निर्णय से सोया खली का उत्पादन बढ़ेगा, और उसका निर्यात हो सकेगा। साथ ही सोया से जुड़े अन्य सेक्टर्स को भी लाभ मिलेगा।