जब काहिरा शहर से दूर देर रात को मुझे टैक्सी में अकेला छोड़ दिया जबकि टैक्सी चालक अंग्रेजी नहीं जानता था, तब ...
सिंदबाद ट्रैवल्स-14
इजिप्ट-काहिरा
वैसे तो मेरा काहिरा में एक सप्ताह रुकने का प्लान था लेकिन आने वाले अगले दो दिन शुक्रवार और शनिवार थे और सप्ताह के इन दो दिनों में मिस्र में साप्ताहिक छुट्टी रहती है ऐसा मुझे बताया था और शुक्रवार तो सब काम काज बन्द था ही। इसलिए ये आने वाले दो दिन घूमने के थे और व्यापार इसके बाद ही होना था। मैंने मिस्टर मैगदी के पूछने पर उन से भी कह दिया था कि अब अगले दो दिन मैं इजिप्ट और काहिरा खास तौर से घूमूंगा फिर काम करूंगा।
अब हम लोगों ने एक टैक्सी गीज़ा यानी अपने होटल के लिए की। होटल की काहिरा शहर से दूरी लगभग पौने एक घंटे के आसपास की लगभग 24-25 किलो मीटर की थी। रास्ते में इलाका काफी सुनसान भी था और रात काफी हो चली थी कि तभी शहर से थोड़ा बाहर निकल कर मिस्टर मैगदी ने कार रुकवा दी। मैंने पूछा कि क्या बात है तो वो बोले कि मेरा घर यहीं पर है और मैं यहीं उतरूंगा तो मैने उनसे कहा कि भाई इतनी रात हो रही है और ये टैक्सी वाला अंग्रेजी नहीं जानता है तो मुझको तो बहुत दिक्कत होगी आप होटल तक चलो और यही टैक्सी आपको छोड़ देगी, पैसे मैं दे दूंगा लेकिन वो नहीं माने। उतरते हुए मिस्टर मैगदी ने कहा कि मेरे आज के पैसे दीजिए। अब मेरी चौंकने की बारी थी। मैंने पूछा कि पैसे किस चीज के तो वो बोले कि मैंने आज पूरे दिन आपके लिए काम किया है इस चीज के पैसे चाहिए। मैंने कहा कि भाई आपसे तो ये तय हुआ था कि जो ऑर्डर मिलेगा आप को उस पर कमीशन देंगे और ऑर्डर कोई हुआ नहीं है अभी तक तो पैसे कैसे लेकिन अब तक मिस्टर मैगदी की बोली की सौम्यता गायब हो चुकी थी और उसकी जगह एक किस्म की चिड़चिड़ाहट ने ले ली थी, उनकी आवाज़ में एक प्रकार का खुरखुरापन आ गया था और वो बोले कि ऑर्डर और कमीशन की बाद में देखी जाएगी अभी तो मुझको मेरे आज के पैसे चाहिए। खैर मैं कर ही क्या सकता था सो मैंने उनके बताए अनुसार लगभग तीन सौ इजिप्शियन पाउंड यानी कि लगभग 20-25 USD या 800-900 रुपये उनको दिए हांलांकि उनकी इच्छा और असफल प्रयास तो ये था कि मैं उनको कम से कम 50 USD तो दे ही दूं (उस समय USD लगभग 28-30 रुपये का था) और तभी वो बोले 100 पाउंड और दीजिए, मैंने पूछा कि ये किस लिए तो वो बोले सुबह मैं टैक्सी से आपके पास आया ये उस के किराए के। मैंने झल्लाते हुए ये भी दे दिए और सोचा कि चलो अब इनसे पिंड तो छूटा। टैक्सी ने थोड़ी देर में ही मुझको होटल पर छोड़ दिया लेकिन टैक्सी वाले ने भी मेरा पिंड तब ही छोड़ा जब उसने भी मुझसे टैक्सी के किराए के अलावा अपनी “बख्शीश” यानी कि tip ले ली। रात का खाना कुछ स्नैक्स किस्म का और फला-फल मैं रात को बाजार में मिस्टर मैगदी के साथ खा ही चुका था सो अब होटल के कमरे में पहुंचते ही काफी थका होने के कारण मैं तुरंत सो गया।
काहिरा में दूसरे दिन की सुबह मेरी नींद कुछ इतनी जल्दी खुली कि कह नहीं सकता कि मैं पहले उठा या सूरज की पहली किरण पहले निकली। सुबह सुबह घर फोन से बात भी हो गयी थी। होटल से फोन करके मैंने हर जगह की तरह यहां से भी अपना होटल का फोन और कमरा नंबर बता दिया था फिर घर से फोन आ गया था। उस वक्त मोबाइल आदि तो थे नहीं और होटल से कहीं भी फोन करना हमेशा बहुत महंगा होता है इसलिए मैं घर पर बता देता था और फिर वहां से वापिस फोन आ जाता था। घर से दूरी बढ़ती जा रहा थी इसका अहसास समय का फर्क यानी कि time difference भी बता देता था। दुबई और भारत में समय का फर्क 1 घंटे और 30 मिनट का था यानी कि भारत का समय डेढ़ घंटे आगे था। इसका मतलब ये हुआ कि यदि दुबई में सुबह के 7 बजे हैं तो भारत में सुबह के 8:30 बजे होंगे। दोहा-कतर और बहरीन में ये फर्क 2 घंटे और 30 मिनट का हो चला था यानी कि वहां यदि सुबह के 7 बजे तो भारत में सुबह के साढ़े नौ बजे थे और अब मिस्र पहुंचते पहुंचते ये फर्क 3 घंटे और 30 मिनट का हो गया था। यानी कि यदि काहिरा में सुबह के सात बजे तो दिल्ली में सुबह के 10:30 बजे होंगे।
सुबह जल्दी उठ कर स्नान-ध्यान करके मैं थोड़ी देर कमरे की खिड़की से बाहर निहारने लगा। सुबह सुबह की रोशनी में पिरैमिड झांकते हुए से बड़े अद्भुत लग रहे थे और कुछ लंबे लंबे पाम या खजूर के वृक्ष भी इस छटा को और मनोहर बना रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठा बैठा सोच रहा था कि चलो अब at least exporter बनने की शुरुआत तो हो ही गयी है। जिन व्यापारियों ने ऑर्डर दिए थे वो मैंने एक डायरी में लिखे थे। उन लोगों ने कहा था कि वापिस पहुंच कर Proforma invoice फैक्स कर देना तो फैक्स तो मैंने लगा लिया था और वो हमारे शहर फिरोजाबाद में लगा पहला फैक्स था किंतु Proforma invoice बनाने का proper तरीका मुझको नहीं मालूम था। मुझको ये नहीं पता था कि प्रोफॉर्मा इनवॉइस में क्या क्या terms and conditions लिखी जाएंगी। दोहा के इस्माइल शेख ने मुझसे कहा था कि मैं उनको ऑर्डर का CBM भेज दूं। मैं CBM का मतलब भी नहीं जानता था लेकिन मुझको लगा कि यदि इनसे पूछा तो इनको लगेगा कि ये कैसा एक्सपोर्टर है जो CBM भी नहीं जानता इसलिए झिझक की वजह से नहीं पूछा।
अगले अंक में चर्चा है मिस्टर मैगदी की और मिस्टर मैगदी जो अद्भुत टैक्सी लाये उसकी...
लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।