Begin typing your search above and press return to search.
दुनिया

जब इजिप्ट में मैंने बरती भारत वाली सावधानी! कमरे में नाम, पता, विजिटिंग कार्ड छोड़कर होटल से निकला

Tripada Dwivedi
27 Sept 2024 6:44 PM IST
जब इजिप्ट में मैंने बरती भारत वाली सावधानी! कमरे में नाम, पता, विजिटिंग कार्ड छोड़कर होटल से निकला
x

सिंदबाद ट्रैवल्स-11

इजिप्ट/मिस्र

होटल में मैंने चेक-इन किया तो उन लोगों ने मेरा पासपोर्ट अपने पास रख लिया और बताया कि कहीं भी पूछे जाने पर मैं होटल का कार्ड दिखा कर बता दूं कि इस होटल में रुका हूं और पासपोर्ट वहीं है। बाद में मुझको ये समझ में आया कि दुनिया में लगभग सभी जगहों पर होटल वाले अपने विदेशी रुकने वालों के पासपोर्ट अपने पास रख लेते हैं और होटल छोड़ते समय वापिस करते हैं। ये 5 स्टार होटल बेहद खूबसूरत और आलीशान था। होटल की लॉबी बहुत ही ऊंची छत की और विशाल थी और उसमें बीचो बीच एक बहुत ही शानदार chandelier टंगा हुआ था जैसा अपने आगरा के मुगल होटल की लॉबी में टंगा है उस से भी विशाल।स्टाफ बहुत ही शालीन और helpful था।

मैं जब अपने कमरे में पहुंचा तो यहां दोपहर हो रही थी लेकिन मुझको बहुत थकान हो रही थी इसलिए मैंने गर्म पानी का फव्वारा चलाया और उसके नीचे खड़ा हो गया ताकि थकान कुछ दूर हो। नहा कर मैं कमरे में बैठा, कमरा बहुत ही सुंदर और आरामदेह था। अब मेरी निगाह कमरे की खिड़की पर गयी मैंने पर्दा हटाया और वाह! क्या नज़ारा था, दूर विश्व प्रसिद्ध पिरामिड दिख रहे थे। हांलांकि दूरी काफी प्रतीत हो रही थी किन्तु वो दृश्य अद्भुत था। मैंने चाय मंगाई थी और चाय पीते हुए पिरैमिड देख रहा था कि कमरे के फोन की घंटी बजी। मैंने फोन उठाया कि यहां मुझको कौन फोन कर रहा है तो मालूम पड़ा कि ये फोन होटल के रिसेप्शन से था। उन लोगों ने कहा कि कोई साहब आपसे मिलने आये हैं तो मैं तो बिल्कुल ही चौंक गया कि इजिप्ट तो मेरे घर से मेरी जानकारी में पुश्तों में कोई नहीं आया तो यहां मुझसे मिलने कौन आ गया।

खैर, मैं नीचे लॉबी में पहुंचा तो एक लगभग 34-35 वर्ष के थोड़े तगड़ी गठीले बदन की बिल्ट के जिनकी लंबाई लगभग 5 फिट 5 या 6 इंच की होगी, चेहरे पर घनी लेकिन लंबी न होकर केवल नाक के नीचे दोनों ओर पूरे होठों को कवर करती मूछें, धूप में तपा हुआ ताम्बई या गेहुएंपन की ओर बढ़ता हुआ रंग, घनी भवें, छोटे और घुंघराले बाल, पैंट और पूरी आस्तीन की शर्त पहने हुए ये व्यक्ति मुझको मिले। उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और अपना परिचय दिया कि, ”मैं मिस्टर मैगदी हूं (मिस्टर मैगदी का पूरा नाम इसलिए नहीं लिखा है ताकि उनकी पहचान गोपनीय रहे। मैगदी इजिप्ट में काफी common नाम है) और आप यहां व्यापार करने आये हैं तो मैं आपकी मदद करूंगा और आपके एजेंट के रूप में कार्य करूंगा। ”मेरे ये पूछने पर कि आपको किसने मेरे बारे में बताया और किसने मेरे पास भेजा के जवाब में उनका कहना था कि एयरपोर्ट से government वालों ने उनको भेजा है। मैं ताज्जुब में था और मिस्र की सरकार की व्यवस्थाओं से बहुत प्रसन्न और चमत्कृत भी था कि गजब है ऐसे पर्यटकों और व्यापारियों की सहायता करना पहले एयरपोर्ट पर शिरीन और अब होटल में ये मिस्टर मैगदी मेरी मदद को मौजूद थे। मैंने भी सोचा कि मैं यहां के विषय में कुछ जानता नहीं हूं और भाषा की भी दिक्कत है तो मिस्टर मैगदी की मदद लेने में क्या बुराई है। माल बिकवाएंगे तो अपना कमीशन लेंगे। उनसे 5℅ का कमीशन भी बिक्री के अमाउंट पर तय हो गया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले glass beads के बाज़ार चलेंगे- तो कब चलेंगे उन्होंने पूछा, मैंने कहा कि बस मैं अभी कमरे से तैयार होकर आता हूं। कमरे में पहुंच कर मैंने सोचा कि मैं एक बिल्कुल नई जगह पर और एक बिल्कुल अपरिचित व्यक्ति के साथ जा रहा हूं और वो भी पता नहीं कहां तो कुछ सावधानी तो बरत ही लेनी चाहिए। मैंने होटल के एक पैड पर एक पन्ने पर अंग्रेजी में लिखा कि मैं कांच के बीड्स के मार्केट मिस्टर मैगदी के साथ जा रहा हूं और यही बात एक अलग कागज पर हिंदी में भी लिख दी।दोनों कागजों पर मिस्टर मैगदी का पता और फोन नंबर भी लिख दिया और अंग्रेजी वाले कागज पर मिस्टर मैगदी का विज़िटिंग कार्ड भी नत्थी कर दिया। इस से मुझको ऐसा लगा कि खुदा न खास्ता मुझको कुछ हो भी गया अथवा कोई दुर्घटना भी हो गयी तो घर वालों को मेरे विषय में सही और पूरी जानकारी तो रहेगी क्योंकि तब मोबाइल फोन आदि तो कुछ थे नहीं। इसके बाद मैं कमरे से नीचे आया और अपने सैम्पिल लेकर हम और मिस्टर मैगदी टैक्सी में सवार हो चल दिये काहिरा शहर की ओर।

अगले अंक में चर्चा होगी काहिरा की टैक्सी, वहाँ की बढ़िया सड़कों और अल-अज़हर यूनिवर्सिटी की...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

Next Story