इंडोनेशिया में सोमवार को मारापी ज्वालामुखी में विस्फोट हो गया। इसके चलते वहां 11 पर्वतारोहियों की मौत हो गई। रेस्क्यू टीम के मुताबिक 12 लोगों की तलाश जारी है। वहीं, 49 लोगों को जिंदा बचाया गया है। रविवार को 2,891 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित ज्वालामुखी ने लगभग 3 किलोमीटर की ऊंचाई तक राख फेंकी।
इससे आस-पास के इलाकों में सड़कें और गाड़ियां राख से भर गईं। सोमवार को भी एक छोटा विस्फोट होने की जानकारी है। इसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन को कुछ समय के लिए बंद किया गया है। मारापी का मतलब आग का पहाड़ होता है। यह सुमात्रा द्वीप पर सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पर्वत पर चढ़ाई के दो रास्ते ज्वालामुखी विस्फोट वाली जगह के नजदीक हैं, जिन्हें अब बंद कर दिया गया है। साथ ही ज्वालामुखी के मुहाने से 3 किलोमीटर दूर तक ढलान पर मौजूद गांवों को एहतियातन खाली करा लिया गया है। विस्फोट के बाद ज्वालामुखी से लावा निकलने की आशंका है। इंडोनेशियाई द्वीप समूह प्रशांत रिंग ऑफ फायर पर स्थित है, जहां महाद्वीपीय प्लेटों के मिलने से उच्च ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि होती हैं।
लोगों में बढ़ रहा ज्वालामुखी देखने का क्रेज
एन्साइक्लोपीडिया ऑफ टूरिज्म नाम की किताब के अनुसार ज्वालामुखी देखने का क्रेज लोगों के बीच हजारों साल पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार 17वीं और 18वीं शताब्दी में यूरोप के सुपर रिच टूरिस्ट ज्वालामुखी का ग्रैंड टूर करते थे। वे इटली के विसुविअस और एटना के ज्वालामुखी को देखने जाते। लेकिन वॉलकेनो टूरिज्म 2017 में न्यूजीलैंड में ज्वालामुखी फटने के बाद चर्चा का विषय बना। इस हादसे में 16 टूरिस्ट की जान गई थी।
मार्च 2021 में आइसलैंड के गेलडिनगाडुआलूर वैली में मौजूद एक्टिव ज्वालामुखी को देखने के लिए हजारों टूरिस्ट पहुंचे।
सोशल मीडिया में इस तरह के पर्यटकों को ‘लावा का पीछा करने वाले’, कहा गया। 20 दिसंबर 2020 में हवाई में माउंट किलाऊआ फटा तो वहां 8 हजार टूरिस्ट इसे देखने पहुंचे।
ज्वालामुखी का लावा देखने के इस क्रेज के लिए बोट टूर और हेलिकॉप्टर टूर भी होते हैं। टूरिस्ट को लावा की लेक के ऊपर उड़ान भरना भी अच्छा लगता है।