सिंदबाद ट्रैवल्स-34
इंग्लैंड-लंदन
इस किले से जैसा मैंने बताया कि इंग्लैण्ड की राजशाही के विभिन्न दौरों का इतिहास जुड़ा हुआ है। इस किले में इंग्लैण्ड के राजा रहे हेनरी अष्टम की कहानी भी सुनी जिन्होंने 1509 से 1547 राज्य किया। अपनी पत्नी Catherine of Aragaon को तलाक देने के मसले पर उनकी तत्कालीन पोप से खटक गयी और उन्होंने इंग्लैण्ड को Catholic धर्म से Protestant धर्म का अनुयायी घोषित कर दिया। बाद में महारानी एलिजाबेथ 1 ने प्रोटोस्टेंट धर्म को खूब बढ़ावा दिया और खुद को चर्च का गवर्नर घोषित कर दिया। ये बातें सुन कर मुझको उसी समय काल में भारत में बादशाह अकबर के दीन-इलाही धर्म की बातों की याद आ गयी। शायद उस समय के सर्वशक्तिमान राजा अपने, अपनी जनता के और ईश्वर के बीच में किसी और की सत्ता नहीं चाहते थे इसलिए वो सब जैसे एक किस्म के प्लान के तहत ही कार्य कर रहे थे चाहे इलाके अलग अलग थे। मुझको यहां रानी मैरी के विषय में भी जानकारी मिली जिसकी क्रूरता ने उसको Bloody Marry का नाम भी प्रदान कर दिया था। इस प्रकार के किस्सों से ये धारणा प्रबल हुई कि स्वेच्छाचारी राजशाही सत्ता के नियम और सोच लगभग एक जैसे ही होते हैं उनके स्थान, देश, काल कोई भी हो।
Tower of London का यह किला काफी समय तक अंग्रेज शासकों के रहने के स्थल के अलावा उनके अस्त्रागार, ट्रेजरी, टकसाल और Crown Jewels of England के रखने की जगह भी रहा है। इसी किले के प्रांगण में एक तरफ की इमारत में शाही जेवरात Crown Jewels रखे हुए प्रदर्शित थे। इसमें अंग्रेज शासकों को उपहार में मिले सामान, उनके राज्यारोहण और उत्सवों में पहने जाने वाले मुकुट, आभूषण, Regalia और अंग्रेजों द्वारा लूटे गए तमाम जेवरात भी मौजूद थे। उस समय वहां अंदर कक्ष में जाकर फोटो खींचने की इजाजत नहीं थी। इंग्लैंड के राजा रहे हेनरी तृतीय के समय (1216-1272) से ये रत्नादिभूषण Tower of London में रखने की प्रथा है हांलांकि वहां प्रदर्शित अधिकांश जवाहरात आदि लगभग 350 साल पुराने राजा चार्ल्स द्वितीय के समय से ही हैं उसके पहले के या तो चोरी हो गए या गला दिए गए काफी कुछ तो ओलिवर क्रॉमवेल, जो एक रिपब्लिकन था (उस समय इंग्लैंड में रिपब्लिकन भी होते थे) ने बिकवा और गलवा दिए थे जब उसने English civil war 1649 के दौरान राजशाही का तख्ता पलट कर दिया था। ये जानकर मुझको हंसी भी आयी और अपने यहां की कहावत “चोर के घर मोर” भी याद आयी।
यहां जो जवाहरात देखने को मिले उनमें 530 कैरट का विश्व का सबसे बड़ा हीरा clear cut diamond Cullinan, दूसरा प्रसिद्ध हीरा Cullinan1, विश्व प्रसिद्ध नीलम Stuart Sapphire, और St.Edward’s Sapphire, काले राजकुमार का लाल माणिक्य यानी कि Ruby और हमारे देश का प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर भी था। मुकुट में जड़ा कोहिनूर चमक रहा था और मैं उसको बहुत देर तक निहारता रहा और जितना उसको देखता उतनी टीस हृदय में उठती और बहुत ही दुःख और बेबसी सी भी महसूस हुयी। मैं वहां खड़ा बहुत देर यही सोचता रहा कि ये अंग्रेज भी अजब कौम हैं एक तरफ अपने अत्याचार के किस्सों का भी म्यूजियम खोल रखा है तो दूसरी ओर सारी दुनिया से लूटा हुआ माल भी जोर शोर से प्रदर्शित कर रहे हैं। वहां के जवाहरातों को देखते हुए मुझको हैदराबाद के निजाम की आभूषणों की प्रदर्शनी हैदराबाद में देखी थी वो याद आ गयी और उनका प्रसिद्ध Jacob Diamond भी याद आ गया जो कि विश्व का पांचवां सबसे बड़ा 184 कैरट के लगभग का हीरा है और जो आखिरी निज़ाम हैदराबाद उस्मान अली खान के पिता जी के जूते के अंदर पड़ा मिला था जो कि कई साल से खोया हुआ था। ये मिला तो लंबे अरसे तक खोये रहने के बाद और फिर खुद निजाम ने भी उसका उपयोग मेज पर रखे पेपरवेट के रूप में काफी समय तक किया था।
इस पूरे किले को घूमने में मुझको लगभग तीन-चार घंटे लग गए लेकिन ये एक बहुत बड़ा अनुभव रहा। एक ओर अंग्रेजो के इतिहास से मानो साक्षात्कार हुआ तो दूसरी तरफ ये भी अहसास हुआ कि मनुष्य कितना क्रूर भी हो सकता है। मन में उन असंख्य और अनाम लोगों के प्रति पीड़ा की भी अनुभूति हुई जिन पर यहां अत्याचार हुए होंगे और जिन्होंने यहां अपने प्राण त्यागे तो दूसरी ओर उन पंख कटे से कौओं के प्रति मन में दयाभाव भी उमड़ा साथ ही बड़ा आश्चर्य भी हुआ इस बात पर कि दुनिया में सबसे विकसित कौमों में से एक मानी जानेवाली ये अंग्रेज कौम इतनी अंधविश्वासी भी है। उनकी क्रूरता की कहानियां बयान करते Torture Tower को देख कर मैं ये सोचने लगा कि इस बात को उनका अहंकार कहें या ईमानदारी कि इन अंग्रेजों को अपने इतिहास के काले पन्नों को भी प्रदर्शित करने में कोई संकोच नहीं था।
हां उनकी क्रूरता के प्रमाण देख कर पीड़ा तो बहुत हुई लेकिन ताज्जुब नहीं क्योंकि अंग्रेजों के इस पहलू को एक भारतीय और इतिहास का विद्यार्थी रहा होने के नाते मैं भली भांति जानता था।
अगले अंक में चर्चा लंदन के को-ऑर्डिनेट्स आदि की....
लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति है। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।