Begin typing your search above and press return to search.
दुनिया

Israel-Hamas War: 'जमीन के नीचे बिना रोशनी और खाना...', हमास की कैद से रिहा हुए बंधकों ने बताई आपबीती

Abhay updhyay
29 Nov 2023 10:46 AM IST
Israel-Hamas War: जमीन के नीचे बिना रोशनी और खाना..., हमास की कैद से रिहा हुए बंधकों ने बताई आपबीती
x

इस्राइल और हमास के बीच एक महीने से अधिक समय से संघर्ष जारी है। सात अक्तूबर को आतंकियों ने इस्राइल पर हमला कर कई सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था। इसके बाद, इस्राइल ने कड़ी जवाबी कार्रवाई और समझौता कर अपने कुछ लोगों को रिहा करा लिया। अब बंधक बनाए गए लोगों के साथ कैद में रखे गए बर्ताव के बारे में कई जानकारी सामने आ रही हैं, जिसे सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे।


50 बंधक रिहा

गौरतलब है, कतर और मिस्र की मध्यस्थता में शुक्रवार को हुए समझौते के बाद से फलस्तीनी समूहों ने 50 से अधिक इस्राइली महिलाओं और बच्चों को रिहा कर दिया है। सात अक्तूबर को हमास द्वारा बंधक बनाए गए 160 से अधिक लोग अभी भी गाजा पट्टी में हैं।

रिहा लोगों को जानकारी देना मना

संघर्ष विराम के तहत छोड़े गए बंधकों में से किसी ने भी फिलहाल उन हालातों की सीधी जानकारी नहीं दी है, जिनमें उन्हें रखा गया था। बताया जा रहा है कि रिहा हुए लोगों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जानकारी देने से बचें क्योंकि उनका एक कदम भी उन लोगों पर भारी पड़ सकता है, जो अभी भी कैद में हैं।

डॉक्टरों से सामने आया सच

हालांकि, इन लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों से कुछ ऐसी जानकारी सामने आई हैं, जिससे साफ पता चलता है कि कैदियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। बंधकों के परिवार इस्राइली सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं कि सभी लोगों को रिहा कराया जाए।

अच्छा खाना तक नसीब नहीं...

शमीर मेडिकल सेंटर, जहां 17 रिहा कराए गए लोगों का इलाज चल रहा है, वहां की चिकित्सा टीम के प्रमुख रोनित जैडेनस्टीन ने कहा कि मुक्त कराए गए लोगों की जांच करने पर पता चल रहा है कि बंधकों को बहुत ही बुरी तरह से रखा जा रहा है। यहां तक की उन्हें अच्छा खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। क्योंकि जो लोग रिहा कराए गए हैं, उनका 10 फीसदी से अधिक वजन कम हो गया है।

दो घंटे रोशनी...

वोल्फसन मेडिकल सेंटर की डॉक्टर मार्गरिटा मशावी ने कहा कि रिहा हुए लोगों ने बताया कि उन्हें अंडरग्राउंड में रखा गया था। वहां थोड़ी सी भी रोशनी नहीं थी। 24 में से 22 घंटे अंधेरे में बिताते थे। खाने में चावल, डिब्बाबंद ह्यूमस, फवा बीन्स और कभी-कभी ब्रेड के साथ नमकीन चीज (cheese) दी जाती थी, इसके अलावा कुछ भी नहीं दिया जाता था। न फल, न सब्जी और न कोई और पोष्टिक आहार।

पेंसिल देने से भी किया इनकार

मशावी ने बताया कि यहां तक कि जब लोगों ने समय बिताने के लिए पेंसिल या पेन मांगा, तो हमास के आतंकियों ने इसकी अनुमति नहीं दी क्योंकि उन्हें डर था कि वे लिखकर कहीं जानकारी न पहुंचा दें।इसलिए कैदियों के पास केवल एक-दूसरे के साथ बातचीत करने का विकल्प था।

Next Story