विश्व हृदय दिवस: दिल की बीमारी का शिकार हो रहे नवजात, गर्भावस्था के दौरान इस अनदेखी का भुगतना पड़ रहा खामियाजा
अगर गर्भावस्था के दौरान मां उचित देखभाल नहीं करती है तो इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। कुछ नवजात शिशु हृदय रोग से पीड़ित होते हैं। नवजात शिशु के हृदय में जन्म से ही छेद दिखाई देता है। अगर दिल का छेद न भरा जाए तो नवजात की जान भी जा सकती है।
इस बीमारी को टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट कहा जाता है। कोरोनेशन हॉस्पिटल के मेडिट्रिना सेंटर में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर दिल का इलाज किया जाता है। यहां हर तीसरे दिन एक बच्चे की हार्ट सर्जरी हो रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ एवं कार्डियोवैस्कुलर सर्जन डॉ. विकास सिंह ने बताया कि बच्चों में दिल में छेद की समस्या लगातार देखी जा रही है।
बच्चों के दिल का छेद जल्द से जल्द भरना जरूरी है। इसलिए इस सर्जरी में देरी नहीं की जानी चाहिए. राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम एवं आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल में बच्चों के दिल की सर्जरी नि:शुल्क की जा रही है।
नसें सिकुड़ने से ऑक्सीजन कम हो जाती है
डॉ. विकास ने बताया कि इस बीमारी में हृदय से फेफड़ों तक जाने वाली नस सिकुड़ जाती है। इससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इस समस्या से पीड़ित बच्चे जब रोते हैं या दौड़ते हैं तो उनका शरीर नीला पड़ने लगता है। सर्जरी के जरिए दिल के छेद को ठीक किया जाता है।
इससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा सही होने लगती है। अस्पताल में हर तीसरे दिन एक बच्चे की हार्ट सर्जरी हो रही है। ऐसे बच्चों की सर्जरी के बाद बच्चे अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालाँकि, अनियमित दिनचर्या के कारण 40 से 50 की उम्र में कुछ बीमारियाँ हो सकती हैं, जिनसे अन्य लोग भी पीड़ित होते हैं।