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उत्तराखंड

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खारिज की नैनीताल के पालिकाध्यक्ष की रिव्यू याचिका, यह है मामला

SaumyaV
1 Dec 2023 10:15 AM GMT
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खारिज की नैनीताल के पालिकाध्यक्ष की रिव्यू याचिका, यह है मामला
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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी की प्रशासनिक और वित्तीय शक्ति सीज करने और अधिशासी अधिकारी को सस्पेंड करने के खिलाफ दायर पुनःविचार (रिव्यू) याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने निलंबित अधिशाषी अधिकारी को शासन को पत्र लिखकर राहत मांगने की इजाजत दे दी है।

पूर्व में स्पेशल बेंच में रिव्यू याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार से जांच रिपोर्ट देने को कहा था। बृहस्पतिवार को न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी गई। कोर्ट ने सीएससी चंद्रशेखर रावत से कहा कि रिपोर्ट से यह देखें कि निलंबन ठीक है या नहीं। अध्यक्ष सचिन नेगी के अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने ऑनलाइन अपनी बात कही। अधिशाषी अधिकारी आलोक उनियाल के अधिवक्ता देवेंद्र पाटनी ने राहत देने के लिए बहस की। कोर्ट ने आलोक उनियाल को शासन में प्रार्थनापत्र देकर अपनी बात रखने को कहा है।

यह है मामला

फ्लैट मैदान में एक अक्तूबर से पांच नवंबर तक झूले संचालन का टेंडर नगर पालिका ने देहरादून निवासी रमेश सजवाण को दिया था। इसके खिलाफ काशीपुर निवासी कृष्ण पाल भारद्वाज ने याचिका दायर कर इस टेंडर को नियम विरुद्ध बताया। इस याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने फ्लैट मैदान में झूलों के टेंडर आवंटन में प्रथम दृष्टया नियमों की अवहेलना होने पर झूले के संचालन को बंद करा दिया और पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सीज करते हुए अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया था। इस आदेश में संशोधन के खिलाफ दोनों ने रिव्यू याचिका दायर की थी।

रिपोर्ट में पालिकाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई का उल्लेख

हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में बृहस्पतिवार को शासन ने अपनी रिपोर्ट प्रेषित की। प्रदेश के मुख्य सचिव एसएस संधू की ओर से हाईकोर्ट को भेजी गई जांच रिपोर्ट में विभिन्न आयोजनों के लिए हुई निविदाओं की अनियमितता के लिए पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी को उत्तरदायी माना गया है।

उन्हें जिम्मेदार मानते हुए नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 48 के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही करने का उल्लेख भी किया गया है। जांच रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि निविदाओं में पत्रावली स्पष्ट नहीं है। इसमें आधार और लागत का आकलन नहीं किया गया है जो वित्तीय अनियमितता है। यह उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली-2017 का उल्लंघन है। इन आधारों पर अनियमितताओं के लिए निविदा कमेटी के सदस्य ट्रेजरी अधिकारी, लोनिवि के अभियंता, पालिका अभियंता व अन्य सदस्यों को भी जिम्मेदार माना गया है।

पालिकाध्यक्ष की वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार

सीज होने के मामले में हाईकोर्ट में विचाराधीन याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। इसके बाद पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी ने पालिका भवन में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने प्रकरण में क्लीन चिट मिलने का दावा करते हुए उच्च न्यायालय व प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया। पालिकाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उनके कार्यकाल की समाप्ति के एक दिन पूर्व हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। दावा किया कि सरकार की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता का जिक्र नहीं हैं जबकि तकनीकी में यूडीआईएन नम्बर आदि का जिक्र है। वित्तीय अनियमितता न होना उनकी दोषमुक्ति और क्लीन चिट है। सचिन बोले उन्होंने पांच साल ईमानदारी से कार्य किया है। उनके कार्यकाल में सबसे अधिक निर्माण कार्य हुए है। कर्मचारी हित के लिए वह स्वयं सात दिन भूख हड़ताल पर बैठे। उन्होंने सभासदों समेत अन्य का धन्यवाद किया। कहा कि सीट सामान्य रही तो पुन: चुनाव लड़कर पालिकाध्यक्ष की सीट पर काबिज होंगे। वार्ता में अधिवक्ता कमलेश तिवारी ने भी उन्हें राहत की बात दोहराई।

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