वन विभाग में कार्यरत कई अधिकारी वर्तमान तैनाती स्थल का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। शासन के स्थानांतरण आदेश के बाद भी सालों से एक ही कुर्सी पर जमे हैं। इस संबंध में एक प्रकरण में तो दो-दो बार एक सहायक वन संरक्षक (एसडीओ) के तबादला आदेश हो चुके हैं, लेकिन एसडीओ अभी भी अपने पहले तैनाती स्थल पर जमे हुए हैं।
शासन के आदेशों की अवहेलना के चलते वन विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। शासन की ओर से 21 अक्तूबर 2022 को पांच एसडीओ को इधर से उधर किया गया था। लेकिन इनमें से कुछ ने नए तैनाती स्थल पर अपना योगदान सुनिश्चित नहीं किया।
इसके बाद आठ सितंबर 2023 को विभिन्न वन प्रभागों में 10 एसडीओ के तबादले किए गए। लेकिन इनमें से भी कई अधिकारियों ने नवीन तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण नहीं किया। जबकि तबादला आदेश में तत्काल प्रभाव से नए तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण करते हुए इसकी सूचना शासन सहित प्रमुख वन संरक्षक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे।
नए तैनाती स्थाल पर ज्वाइन नहीं किया
एक मामले में तो एक एसडीओ के पहले तबादला आदेश में उन्हें तराई पश्चिमी वन प्रभाग रामनगर से तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी भेजा गया था। संबंधित अधिकारी ने एक साल तक नए तैनाती स्थल पर ज्वाइन ही नहीं किया। इसके बाद दूसरे तबादला आदेश में शासन ने उन्हें तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी से चंपावत वन प्रभाग में स्थानांतरित कर दिया।
एसडीओ की ओर से एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी नए तैनाती स्थाल पर ज्वाइन नहीं किया गया है। सवाल शासन की कार्यप्रणाली को लेकर भी उठ रहे हैं, जब संबंधित अधिकारी ने पहले तबादला आदेश का दरकिनार करते हुए नए तैनाती स्थल पर ज्वाइन ही नहीं किया, तब शासन की ओर से उन्हें वहां दर्शाते हुए तीसरी जगह कैसे स्थानांतरित कर दिया गया।