उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में आज पहला सोमवार, शिवालयों में उमड़ी भीड़, ऐसे करें जलाभिषेक
आज सावन के दूसरे सोमवार पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. वहीं, उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में आज सावन का पहला सोमवार है। जिससे पहाड़ों के शिवालयों में हर-हर महादेव की गूंज है. विशेष पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी रहीं।ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि सावन की संक्रांति से पर्वतीय क्षेत्रों में सावन शुरू होता है। इसके पीछे का कारण यह है कि पहाड़ी लोग सूर्य में विश्वास करते हैं। वहीं सावन की शुरुआत चंद्रमा से क्षेत्र में मानी जाती है। ज्योतिष गणना के अनुसार हिंदू धर्म में एक सौर मास और एक चंद्र मास होता है।
दरअसल, लोक परंपराओं के मुताबिक पहले के समय में पहाड़ के लोग खेती पर निर्भर रहते थे। इसलिए सावन माह आने से पहले ही किसान बेहतर फसल और पहाड़ों की सुरक्षा के लिए भगवान और प्रकृति का आशीर्वाद मांगते थे। हरेला पर्व के साथ ही उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में सावन का मौसम भी शुरू हो गया.
शिवरात्रि के दिन ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करें। इससे दुखों से मुक्ति मिलती है। ध्यान रहे इस दिन तामसिक भोजन न करें।भगवान शिव की पूजा फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप और दीप से करें। - दूध, दही, घी, शहद और चीनी को एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं और जल से अभिषेक करें।
भोलेनाथ के आठ नामों भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान के नाम पर फूल चढ़ाएं और शिव की आरती करें और परिक्रमा करें।