ऋषिकेश समाचार: अंधेरी जिंदगी में रोशनी फैला रहा एम्स का आई बैंक
एम्स का आई बैंक दृष्टिहीनों की अंधेरी जिंदगी में रोशनी फैला रहा है। स्थापना के मात्र चार वर्षों में आई बैंक ने 500 से अधिक दृष्टिहीनों को आंखें प्रदान की हैं। आई बैंक को अब तक नेत्रदानकर्ताओं से 664 कॉर्निया प्राप्त हो चुके हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की स्थापना 26 अगस्त 2019 को हुई थी। शुरुआती तीन वर्षों तक आई बैंक के संचालन के लिए टाटा ट्रस्ट और हंस फाउंडेशन ने वित्तीय सहायता प्रदान की। जबकि एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट, हैदराबाद से तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ। अब एम्स ही आई बैंक का संचालन कर रहा है। स्थापना के मात्र चार वर्षों में ही एम्स आई बैंक देश के अग्रणी आई बैंकों की कतार में आ गया है। यहां करीब 400 दृष्टिहीन लोगों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। जबकि यहां के नेत्र बैंक से लगभग 100 कॉर्निया अन्य चिकित्सा संस्थानों को उपलब्ध करायी गयी है. स्थापना के बाद से, नेत्र दाताओं से नेत्र बैंक को कुल 664 कॉर्निया प्राप्त हुए हैं। 1200 लोग नेत्रदान का संकल्प भी ले चुके हैं. यहां हर रोज चार से पांच लोग नेत्रदान करते हैं।
अन्य संस्थानों को भी उपलब्ध करा रहे कॉर्निया
एम्स राज्य के अन्य संस्थानों को भी कॉर्निया मुहैया करा रहा है। अब तक एम्स हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट, महंत इंद्रेश, विवेकानन्द आई हॉस्पिटल, आनंद नेत्रालय, दृष्टि आई हॉस्पिटल और गंगा माता हॉस्पिटल हरिद्वार ने कॉर्निया की जांच कराई है।