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उत्तराखंड

उत्तराखंड में गो तस्करी में सजा का प्रवधान बढ़ाने की तैयारी, इन तीन बिंदुओं पर दिया जोर

Abhay updhyay
1 July 2023 12:17 PM IST
उत्तराखंड में गो तस्करी में सजा का प्रवधान बढ़ाने की तैयारी, इन तीन बिंदुओं पर दिया जोर
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उत्तराखंड गौ सेवा आयोग ने प्रदेश में गौ तस्करी के मामले में सजा का प्रावधान बढ़ाने की तैयारी कर ली है। इस संबंध में आयोग ने उत्तराखंड गोवंश संरक्षण अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार को छह बिंदुओं पर प्रस्ताव भेजा है. इसमें सजा बढ़ाने, आर्थिक दंड और मवेशियों के पंजीकरण पर विशेष जोर दिया गया है.

प्रदेश में गौ तस्करी और मवेशियों के पंजीकरण को लेकर गौ सेवा आयोग लगातार काम कर रहा है. इसी क्रम में उत्तराखंड गौवंश अधिनियम में संशोधन के लिए पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा की अध्यक्षता में बीती मई में बैठक हुई थी. जिसमें गाय के प्रति अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कई बिंदुओं पर चर्चा की गई। उक्त बैठक में उत्तराखंड गौ सेवा आयोग ने भी कुछ प्रस्ताव रखे थे।

अब आयोग ने इसी सप्ताह इस संबंध में अन्य प्रस्ताव सरकार को भेजे हैं. उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पंडित राजेंद्र अंथवाल ने कहा कि आयोग गौवंश की सुरक्षा एवं सुरक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहा है। शासन को प्रस्ताव भेजने के बाद उम्मीद है कि जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया जाएगा। कहा कि पशु तस्करी पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है.

आयोग के प्रमुख प्रस्ताव

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गाय पालने के लिए हर गाय का पंजीकरण करना और जन्म से मृत्यु तक दस्तावेज रखना अनिवार्य होना चाहिए।

गोहत्या, गोमांस रखने व बेचने पर सजा तीन वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की जाए। साथ ही आर्थिक दंड का प्रावधान 10,000 से बढ़ाकर 70,000 रुपये किया जाए.

-बिना अनुमति के राज्य के बाहर मवेशी लाने और ले जाने पर सजा तीन साल से बढ़ाकर सात साल की जाए। वहीं आर्थिक दंड 2500 से बढ़ाकर 70 हजार रुपये किया जाना चाहिए.

- राज्य के बाहर मवेशी लाने वाले को जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, इसमें मवेशियों को वध के लिए नहीं ले जाने का भी जिक्र करना होगा.

एक जिले से दूसरे जिले में दो से अधिक गायों को ले जाने के संबंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। उल्लंघन करने पर छह माह की सजा और प्रति गौवंश 10 हजार रुपये जुर्माना देना होगा।

मवेशियों पर किसी भी प्रकार की क्रूरता दंडनीय होगी। शारीरिक पीड़ा पहुंचाने और अंगों को क्षति पहुंचाने, सड़कों पर बेसहारा छोड़ने पर छह माह की सजा और 25 हजार रुपये आर्थिक दंड का प्रस्ताव है।

क्षेत्र के सभी मवेशियों के पंजीकरण के लिए संबंधित नगर निगम में नगर आयुक्त, नगर पालिका में कार्यकारी अधिकारी और पंचायतों में स्तर -3 अधिकारी जिम्मेदार होने चाहिए।

Abhay updhyay

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