चारधाम यात्रा में अब घोड़ों और खच्चरों से रात में काम नहीं लिया जाएगा
आप जब भी कभी केदारनाथ ,बद्रीनाथ या वैष्णो देवी जाते होंगे तो आप अपनी यात्रा पूरी करने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल करते होंगे।कभी उनके ऊपर इतना सामान लाद दिया जाता है की वो बेचारे गिर जाते है या रास्ते में ही दम तोड़ देते हें। पर अब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने घोड़ों और खच्चरों की राहत के लिए एक फैसला सुनाया हें। चारधाम यात्रा में घोड़ों और खच्चरों से अब रात में काम नहीं लिया जाएगा। उनकी क्षमता के अनुसार ही उनपर भार लादा जाएगा। घोड़ों और खच्चरों से एक दिन में एक ही चक्कर लगवाया जाएगा। यह अनुमति हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले और सरकार के बीच बनी है।
हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों की मौतों के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुनवाई की और समस्याओं के छुटकारो के लिए सरकार और निवेदक से सहमति पत्र पेश करने के लिए कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के सामने मामले की सुनवाई हुई। समाजसेवी गौरी मौलेखी और अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई है। इससे उस इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है। याचिका में कहा कि जानवरों और इंसानों की सुरक्षा के साथ उनको चिकित्सा की सुविधा भी दी जाए।
सुविधा के हिसाब से घोड़ों को मिले अनुमति
याचिका में यह भी कहा गया कि चारधाम यात्रा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है जिससे जानवरों और इंसानों के खाने पिने और रहने की समस्या आ रही है। कोर्ट से मांग की गई कि यात्रा में उनके हिसाब से कैपेसिटी के हिसाब से ही श्रद्धालुओं, घोड़ों और खच्चरों को भेजा जाए। उतने ही लोगों को अनुमति दी जाए जिससे लोगों को खाने-पीने रहने की सुविधा मिल सके। जानवरों पर अत्याचार नहीं किया जाए। सुनवाई के दौरान सचिव पशुपालन और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग सहित कई अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए।
इन पर भी बनी सहमति
-प्रत्येक दिन यात्रा शुरू करने से पहले घोड़ों और खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।
-उनके लिए गर्म पानी, रहने की व्यवस्था, वेटनरी स्टाफ की व्यवस्था भी की जाएगी।