Begin typing your search above and press return to search.
उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा-लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद कैसे चल रहा टिहरी झील में होटल?

Shashank
6 Jan 2024 7:23 AM GMT
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा-लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद कैसे चल रहा टिहरी झील में होटल?
x

नवीन सिंह राणा स्वर्गआश्रम जोंक जिला पौड़ी गढ़वाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में गंगा पर फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन संचालक अनुमति का गलत उपयोग कर रहे हैं।

नैनीताल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को टिहरी झील में फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट की ओर से मांसाहारी भोजन व मलमूत्र डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि होटल का लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद यह कैसे संचालित हो रहा रहा था, इसका जवाब दें। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तिथि नियत की है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने शपथपत्र में कहा कि 31 मार्च 2023 को संचालित होटल ले रियो का लाइसेंस समाप्त हो गया था। इसे रिन्यू कराने के लिए संचालक ने 21 दिसंबर 2023 को आवेदन किया था। आवेदन के बाद पीसीबी ने एक जनवरी 2024 को इसके संचालन के लिए लाइसेंस जारी किया। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि लाइसेंस समाप्त होने से दो माह पूर्व नवीनीकरण के लिए आवेदन किया जाना था, जो होटल स्वामी ने नहीं किया। कोर्ट ने पीसीबी की रिपोर्ट पर सरकार से जवाब तलब किया है।

यह है याचिका

नवीन सिंह राणा स्वर्गआश्रम जोंक जिला पौड़ी गढ़वाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में गंगा पर फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन संचालक अनुमति का गलत उपयोग कर रहे हैं। कई रेस्टोरेंट संचालक मांसाहारी भोजन बनवाकर उसका वेस्ट पवित्र गंगा में डाल रहे हैं। फ्लोटिंग हट में रहने वाले लोगों का मलमूत्र भी गंगा में डाला जा रहा है।

जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंस देकर करोड़ों सनातनियों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया है। याचिकाकर्ता ने इस पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी, केंद्र सरकार और मुख्य सचिव को पत्र भेजा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद याची को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

Next Story