सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन को सड़क मार्ग से वापस भेजा जा रहा है। मलबे में लोहे के अवरोधकों के चलते इस मशीन से ड्रिलिंग भले पूरी नहीं कर पाई हो, लेकिन पाइप पुशिंग का काम इसी से संभव हो पाया था।
इससे एस्केप पैसेज तैयार हुआ और अंदर फंसे श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया। बीते 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन से निर्माण कार्य में लगे 41 मजदूर अंदर ही फंस गए थे। जिन्हें बचाने के लिए देशभर से कई मशीनें मंगवाई गईं। इनमें सबसे अहम अमेरिकी अर्थ ऑगर मशीन थी।
इसे देसी ऑगर मशीन की क्षमता कम होने के बाद मंगवाया गया था। यह मशीन दिल्ली से खासतौर पर भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचाई गई थी। एक विमान के अंदर मशीन के पार्ट्स फंसने से उसे निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
इस पर सभी को भरोसा था कि यह मलबे में ड्रिलिंग कर एस्केप पैसेज तैयार कर लेगी, लेकिन पहली बार में यह मशीन मलबे में किसी कठोर अवरोध के चलते 22 मीटर ड्रिल कर अटक गई थी।
इसे निकाला गया और इसके बाद यह 51 मीटर ड्रिलिंग कर बुरी तरह लोहे की सरियों व पाइप में फंस गई।
मुश्किल से इसका बरमा और हेड मलबे से निकाला गया और शेष ड्रिल रैट माइनर्स ने हाथों से की, लेकिन पाइप पुशिंग का काम इसी मशीन से किया गया।
ट्रैंचलेस कंपनी के शंभू मिश्रा ने बताया कि सिलक्यारा से ऑगर मशीन को तीन खेप में ही वापस भेजा रहा है। रविवार को ही इसे तीन ट्रालों में लोड कर दिया गया था।