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गढ़वाल मंडल विकास निगम जोशीमठ-औली रोपवे को अपग्रेड कर अत्याधुनिक बनाने की योजना बना रहा है
औली जाने वाले पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही होता है। इसलिए अभी जोशीमठ-औली रोपवे 30 साल पुरानी तकनीक से संचालित किया गया है। खासकर सर्दियों में हिमाच्छादित औली की वादियों को रोपवे से देखना एक शानदार अनुभव होता है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम जोशीमठ-औली रोपवे को अपग्रेड कर अत्याधुनिक बनाने की योजना बना रहा है। निगम की ओर से जल्द इस संबंध में सरकार से वार्ता की जाएगी। यदि सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही यह रोपवे नए क्लेवर और नई तकनीक के साथ संचालित होगा। इससे ज्यादा से ज्यादा पर्यटक कम समय में आवागमन कर सकेंगे, वहीं निगम की आय में भी वृद्धि होगी।
दरअसल अभी जोशीमठ-औली रोपवे 30 साल पुरानी तकनीक से संचालित होता है। औली जाने वाले पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही होता है। खासकर सर्दियों में हिमाच्छादित औली की वादियों को रोपवे से देखना एक शानदार अनुभव होता है। शीतकाल में जब यहां अच्छी बर्फ पड़ती है तो रोपवे के टिकटों के लिए मारामारी रहती है। घंटों इंतजार के बाद भी कई पर्यटकों को रोपवे के टिकट नहीं मिल पाते हैं।
इधर प्रदेश सरकार औली के साथ गोरसों को भी विकसित करने की तैयारी में जुट गई है। ऐसे में यहां पर्यटकों की संख्या और ज्यादा बढ़ जाएगी, लेकिन जोशीमठ-औली रोपवे के लिए इतने पर्यटकों का दबाव उठाना संभव नहीं हो पाएगा। इसे देखते हुए गढ़वाल मंडल विकास निगम इस रोपवे को आधुनिक तकनीक से संचालित करने की योजना बना रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को इसका लाभ मिल पाए।
अगर बात करें नई तकनीक से होनें वाले लाभ की।
वर्तमान में 10 टॅावरो वाले इस रोपवे में दो ट्रॉली लगी हैं, इसमें एक ऊपर जाती है तो दूसरी नीचे आती है। यही दोनों ट्रॉलियां दिनभर चक्कर लगाती रहती हैं। एक ट्रॉली में एक बार में करीब 25 लोग ही आ पाते हैं। 4.15 किमी लंबे रोपवे से पर्यटकों को जोशीमठ से औली पहुंचने में तकरीबन 25 मिनट लगते हैं और दिनभर में लगभग 500 पर्यटक ही औली जा पाते हैं। जबकि नई तकनीक से संचालित रोपवे में 40 ट्रॉलियां होंगी, जो सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक लगातार आवाजाही करती रहेंगीं। एक ट्रॉली में चार यात्री एक बार में जा सकेंगे। जबकि दिनभर में करीब 1000 पर्यटक आवाजाही कर सकेगे।
इस समय रोपवे का संचालन बंद पड़ा है,
जोशीमठ में भू-धंसाव के समय से रोपवे का संचालन बंद किया हुआ है। एक नंबर टाॅवर के पास भू-धंसाव के खतरे को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से इसे बंद कर दिया गया था। रोपवे कब तक संचालित हो पाएगा अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
जोशीमठ-औली रोपवे संचालन के लिए नई तकनीक पर विचार किया जा रहा है। जल्द इस मामले में सरकार से वार्ता कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।