टनल के जिस हिस्से में मलबा गिरा, वहां कोई आशंका ही नहीं थी। वहां सभी तरह के ट्रीटमेंट निमयानुसार किए जा चुके थे। सुरंग के जिस हिस्से में कटाव चल रहा था, वहीं ह्यूम पाइप लगाया गया था।
प्रदेश की सबसे लंबी सिलक्यारा सुरंग का जो हिस्सा चार साल पहले काटकर तैयार किया जा चुका था, वह अचानक मलबे की जद में आने से सेफ्टी मैनेजर, सिविल इंजीनियर भी हतप्रभ हैं। उनका कहना है कि केवल नए कटाव वाली जगह पर ही ह्यूम पाइप लगाया जाता है क्योंकि वहीं मलबा गिरने की आशंका होती है।
सेफ्टी मैनेजर राहुल तिवारी ने बताया कि टनल के जिस हिस्से में मलबा गिरा, वहां कोई आशंका ही नहीं थी। वहां सभी तरह के ट्रीटमेंट निमयानुसार किए जा चुके थे। सुरंग के जिस हिस्से में कटाव चल रहा था, वहीं ह्यूम पाइप लगाया गया था। जो हिस्सा चार साल पहले कट चुका था, वहां इसकी जरूरत ही नहीं थी।
सीनियर इंजीनियर प्रदीप नेगी ने कहा कि पूरे इंतजाम के बावजूद मलबा आना केवल लोड फेल्योर है। इसी वजह से मलबा आया है। जो भी निर्माण सामग्री लगाई गई थी, वह मलबे के भार को सहन नहीं कर पाई। अब निश्चित तौर पर और अधिक मजबूती के साथ उस जगह पर निर्माण किया जाएगा।
लोकसभा चुनाव से पहले तैयार कर देंगे सुरंग
सेफ्टी मैनेजर राहुल तिवारी का कहना है कि अब वह दोगुने जोश के साथ काम करेंगे। उन्होंने पीएम मोदी, सीएम धामी का आभार जताते हुए कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले इस सुरंग का निर्माण पूरा कर देंगे।
पहले ही बना दिया था मंदिर
सुरंग निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि बाबा बौखनाग का मंदिर ऊपरी हिस्से में स्थापित है। उनका कहना है कि सुरंग के बाहर भी एक मंदिर स्थापित कर दिया गया था। मंदिर को वहां से हटाने की बात से वह इत्तेफाक नहीं रखते। हालांकि स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बाबा का मंदिर हटाने के बाद ही ये घटना हुई है। रेस्क्यू के दौरान दोबारा प्रवेश द्वार पर मंदिर स्थापित किया गया।