प्रदेश में बाघों की लगातार मौत के मामले सामने आने पर सवाल उठ रहे है। चिंताजनक बात यह भी है कि प्रदेशभर में बाघों की 19 मौत में से अकेले आठ बाघों की मौत कॉर्बेट में ही हुई है। बीते चार वर्षों में 26 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। |
प्रदेश में बाघों की संख्या में विगत 16 वर्षों में तीन गुना से भी अधिक वृद्धि हुई है। पूरे विश्व में बाघों का सबसे अधिक घनत्व उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अंकित किया गया है। लेकिन चिंताजनक बात यह भी है कि प्रदेशभर में बाघों की 19 मौत में से अकेले आठ बाघों की मौत कॉर्बेट में ही हुई है। बीते चार वर्षों में 26 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। चिंताजनक पहलू यह है कि बाघों की संख्या बढ़ने के साथ इनकी मौत के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. सिन्हा के अनुसार प्रदेश में बाघों की अगर अधिक मौत हो रही है तो इसे इस रूप में भी देखा जाना चाहिए कि बाघों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बाघों की मौत के प्रत्येक मामले की जांच की गई है, कुछ की जांच जारी है। किसी भी प्रकरण में मौत का कोई असामान्य कारण या मानव जनित कारण अभी तक प्रकाश में नहीं आया है।
देशभर में सबसे ज्यादा बाघ इस साल मरे
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से 14 नवंबर को देशभर में इस साल मारे गए बाघों के आंकड़े जारी किए गए हैं। इनके अनुसार, देशभर में इस वर्ष 159 बाघों की मौत दर्ज की गई है। खास बात यह है कि यह आंकड़ा विगत वर्षों में अब तक का सर्वाधिक है।
मध्य प्रदेश में मारे गए सबसे अधिक बाघ
इस वर्ष मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 37, महाराष्ट्र में 37, तमिलनाडु में 15 और केरल में 13 बाघों की मौत दर्ज की गई है। वर्ष 2022 की गणना के अनुसार मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 785, महाराष्ट्र में 444, तमिलनाडु में 306 और केरल में 213 दर्ज की गई है।
उत्तराखंड में बाघों की मौत
वर्ष 2019 में 13
वर्ष 2020 में 06
वर्ष 2021 में 10
वर्ष 2022 में 09
वर्ष 2023 में १९
उत्तराखंड में बाघों की संख्या
वर्ष 2006 में 178
वर्ष 2010 में 227
वर्ष 2014 में 340
वर्ष 2018 में 442
वर्ष 2022 में 560