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उत्तराखंड

पहाड़ नहीं चढ़ पाया सीएसआर फंड, कारपोरेट घरानों ने मैदानी जिलों को दिया ज्यादा बजट

Shashank
25 Jan 2024 12:55 PM IST
पहाड़ नहीं चढ़ पाया सीएसआर फंड, कारपोरेट घरानों ने मैदानी जिलों को दिया ज्यादा बजट
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सीपीपीजीजी व यूएनडीपी की संयुक्त कार्यशाला में सीएसआर फंडिंग के उपयोग पर मंथन हुआ। कारपोरेट घरानों ने मैदानी जिलों हरिद्वार, देहरादून व ऊधमसिंह नगर को ज्यादा बजट दिया।

पिछले आठ साल में उत्तराखंड में स्थित कारपोरेट घरानों ने 1017.95 करोड़ रुपये कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड में खर्च किए। इसमें हरिद्वार, देहरादून व ऊधमसिंह नगर सरीखे मैदानी जिलों पर ज्यादा खर्च हुआ। पहाड़ सीएसआर फंड के लिए तरस गया। ये जानकारी नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से आयोजित एक कार्यशाला के दौरान सामने आई।

सीएसआर फंड खर्च करने की अपील की गई

आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 से 2021-22 के दौरान प्रदेश में खर्च हुए कारपोरेट घरानों ने 1017.95 करोड़ में से हरिद्वार जिले में 21.61 प्रतिशत, देहरादून जिले में 12.06 प्रतिशत और ऊधमसिंह नगर जिले में 4.26 प्रतिशत खर्च हुए। इन जिलों में खर्च सीएसआर फंड की तुलना में पर्वतीय जिले अल्मोड़ा में 1.15, बागेश्वर में 0.15, चमोली में 2.19, चंपावत में 0.83, नैनीताल में 1.16, पौड़ी में 0.03, पिथौरागढ़ 0.91, टिहरी में 0.88 और उत्तरकाशी में 1.22 प्रतिशत धनराशि खर्च हो पाई।

पर्वतीय जिलों में रुद्रप्रयाग में सबसे अधिक 4.03 प्रतिशत सीएसआर फंड खर्च हुआ। जबकि शेष 49.52 प्रतिशत राशि किस मद में खर्च हुई, इसका ब्योरा नहीं दिया गया है। कार्यशाला में प्रदेश में कार्यरत सभी कारपोरेट घरानों से पर्वतीय क्षेत्रों में भी अधिक सीएसआर फंड खर्च करने की अपील की गई। विशेषतौर पर उनसे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़े कार्यों पर खर्च करने की अपेक्षा की गई।

परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू करें

सचिव नियोजन नीरज खैरवाल ने उद्योग प्रतिनिधियों और स्वयं सेवी संगठनों से परस्पर समन्वय के साथ सामाजिक और पर्यावरणीय सुधार से संबंधित परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का आह्वान किया। पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स के हेमंत कोचर ने राज्य में सीएसआर गतिविधियों के मुख्य क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य व शिक्षा, कौशल और आजीविका, अपशिष्ट प्रबंधन विषयों पर स्वयं सेवी संगठन के प्रतिनिधियों ने विशेषज्ञों के साथ चर्चा की और समाधान सुझाए।

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