अल्मोड़ा का गांधी सभा स्थल लक्ष्मेश्वर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने का इंतजार
जब गुलाम भारत में आजादी का आंदोलन बल पकड़ रहा था तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुमाऊं को भी कर्मभूमि बनाया। उन्होंने 20 जून 1929 को अल्मोड़ा के लक्ष्मेश्वर मैदान और चौघानपाटा में विशाल जनसभा को संबोधित कर लोगों के मन में आजादी की अंतर्धान जगाई थी। 1998 में जिस स्थान पर जनसभा हुई वहां पर गांधी सभा स्थल बनाया गया, जिसे लंबे समय से राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग चल रही है। कई बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया जो फाइलों में दबकर रह गया है।
19 जून 1929 को महात्मा गांधी अल्मोड़ा पहुंचे थे यह बात आज़ादी के कई वर्ष पहले की है । 20 जून 1929 को उन्होंने लक्ष्मेश्वर मैदान में विशाल महासभा को संबोधित कर लोगों में स्वाधीनता और आजादी का जोश भरा। बापू की बुलंद आवाज को सुनने यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ी । आखिरकार कई संघर्ष के बाद देश को आजादी मिली और देश गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ। आजादी के बाद यहाँ की पालिका ने 1998 में यहां गांधी सभा स्थल और पांच वर्ष पूर्व बाद ही यहां शहीद स्मारक बनाया गया है। वर्तमान में इस स्थान को गांधी सभा स्थल शहीद पार्क लक्ष्मेश्वर के नाम से जाना जाता है । इतिहास के पन्नों में दर्ज इस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए पालिका ने कई बार शासन में प्रस्ताव भेजा। लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते इसे मंजूरी नहीं मिल सकी है।
महिलाएं बनीं स्वतंत्रता सेनानी
अल्मोड़ा मे बापू ने महिलाओं में आजादी का जोश भरा था। नगर के मल्ला जोशीखोला में महिलाओं की सभा को विभेदित करते हुए बापू ने उनसे देश को गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आने की अपील की थी। बापू के भाषण सुनकर महिलाओं ने इनक़लाबी की मदद की। कई महिलाएं तो खुद देश को आजादी दिलाने के लिए आंदोलनों में शामिल हो गईं थी ।
अल्मोड़ा के मेजबानी को कभी भूल नहीं पाए बापू
बापू के अल्मोड़ा आने पर लोगों ने जोश के साथ उनका आदर सत्कार किया। कुमाऊं के मेहमानदारी को वह कभी भूला नहीं पाए। बापू ने अपनी पुस्तक यंग इंडिया में जिले के लोगों के आदर सत्कार को भी शामिल किया है।
आजादी के लिए बापू ने बर्तन कर दिए थे नीलाम
बापू का देश प्रेम अल्मोड़ा में भी देखने को मिला था। देश की खातिर उन्होंने अपने बर्तन भी नीलाम कर दिए थे। बापू अल्मोड़ा पहुंचे तो उन्होंने अपना चांदी का लोटा नीलाम किया। तब नगर के व्यवसायी धनी शाह ने ये लोटा खरीदा था।
गांधी सभा स्थल लक्ष्मेश्वर ऐतिहासिक है। इतिहासकारों और शोधार्थियों के लिए भी ये स्थल काफी महत्वपूर्ण है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए पूर्व में पालिका ने प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे साफ है कि मौजूदा सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए गंभीर नहीं है। - प्रकाश चंद्र जोशी, पालिकाध्यक्ष, अल्मोड़ा।