बीते एक साल में उत्तराखंड में 103 उद्योगों को जेड प्रमाणीकरण हासिल किया है। इसमें पांच उद्योगों को स्वर्ण, पांच को रजत और 93 को कांस्य श्रेणी का प्रमाणीकरण मिला है। इससे उद्योगों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड के 103 एमएसएमई उद्योगों को जेड प्रमाणीकरण (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट) मिला है। इसमें पांच उद्योगों को प्रमाणीकरण में स्वर्ण श्रेणी हासिल हुई है। इससे उद्योगों में बनने वाले उत्पाद वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को टक्कर देंगे।
एमएसएमई मंत्रालय ने 2022 में जेड (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट) प्रमाणीकरण योजना शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) में विनिर्माण में दक्षता मानव संसाधन, गुणवत्ता और कम से कम प्रदूषण, वित्तीय प्रबंधन को बेहतर करने प्रमाणीकरण करना है, जिससे उद्योगों में बनने वाले उत्पादों की विनिर्माण लागत में कमी आएगी। साथ ही वेस्टेज कम होगा।
कार्यप्रणाली में नई तकनीक और बेहतर प्रबंधन से एमएसएमई उद्योग भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बड़ी कंपनियों को टक्कर दे सकेंगे। बीते एक साल में उत्तराखंड में 103 उद्योगों को जेड प्रमाणीकरण हासिल किया है। इसमें पांच उद्योगों को स्वर्ण, पांच को रजत और 93 को कांस्य श्रेणी का प्रमाणीकरण मिला है। इससे उद्योगों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी।
प्रदेश में 80 हजार से अधिक एमएसएमई उद्योग स्थापित
राज्य गठन से पहले उत्तराखंड में कुल 14,163 एमएसएमई उद्योग स्थापित थे, जिसमें 700 करोड़ रुपये का निवेश था, लेकिन राज्य गठन के बाद से औद्योगिक विकास में तेजी आने से एमएसएमई उद्योग भी बढ़े हैं। वर्तमान में कुल 80 हजार से अधिक उद्योग स्थापित हैं, जिनमें 54 हजार करोड़ का पूंजी निवेश और चार लाख लोगों को रोजगार मिला है।