ट्रेन की चपेट में आ रहे हाथियों को हादसे से बचाने के लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय के बीच बैठक हुई। इसमें देश में सौ रेलवे ट्रैक चिह्नित किए गए जो हाथियों के लिए खतरा बने हुए थे। इनमें से दो कुमाऊं में है।
देशभर में सौ रेलवे ट्रैक ऐसे हैं जो हाथियों के लिए काल बने हुए हैं। इनमें से दो ट्रैक कुमाऊं के हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सुरक्षात्मक कार्य के लिए इन सभी ट्रैक का चयन किया है। यहां सेंसर, रबर के प्लेटफार्म बनाने समेत पांच तरह के सुरक्षात्मक कार्य होंगे।
जंगलात के अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन की चपेट में आ रहे हाथियों को हादसे से बचाने के लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय के बीच बैठक हुई। इसमें देश में सौ रेलवे ट्रैक चिह्नित किए गए जो गजराज के लिए खतरा बने हुए थे। इनमें कुमाऊं के लालकुआं-रुद्रपुर और लालकुआं-गूलरभोज रेलवे ट्रैक भी शामिल हैं। पहले चरण में इन दो जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षात्मक कार्य किए जाने हैं।
20 जगहों पर ज्यादा है हाथियों का मूवमेंट
वन विभाग और विशेषज्ञों ने दोनों रेलवे ट्रैक का सर्वे किया और वनकर्मियों से मूवमेंट के बारे में जानकारी जुटाई थी। 13 स्थानों पर हाथियों के ज्यादा मूवमेंट की बात सामने आई है। रेलवे कर्मियों ने भी करीब सात स्थल चिह्नित किए हैं, जहां हाथियों का मूवमेंट ज्यादा है।
हाथियों को ट्रेन से होने वाली दुर्घटना में कमी लाने के लिए हरसंभव कदम उठाने का प्रयास किए जा रहे हैं। हाल में रेलवे, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, जंगलात के अधिकारियों ने संयुक्त रूप सर्वे किया था, अब सर्वे के आधार पर चिह्नित जगहों पर बचाव के कार्य होंगे। - प्रसन्न पात्रों, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं।