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उत्तर प्रदेश

क्या इस बार इंदिरापुरम के हस्तांतरण की प्रक्रिया वाकई में पूरी होगी या नहीं?

Neeraj Jha
8 May 2024 10:13 AM GMT
क्या इस बार इंदिरापुरम के हस्तांतरण की प्रक्रिया वाकई में पूरी होगी या नहीं?
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जीडीए वीसी की पहल पर इंदिरापुरम हस्तांतरण के लिए प्रक्रिया शुरू

गाजियाबाद। जीडीए वीसी अतुल वत्स की पहल पर एक बार फिर इंदिरापुरम को गाजियाबाद नगर निगम को सौंपने की कवायद शुरू की गई है। हैंडओवर की इस प्रक्रिया को मूर्त रूप देने के लिए अतुल वत्स ने 15 सदस्यीय एक कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी और इसके बाद आगे की कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।

जीडीए वीसी अतुल वत्स द्वारा बनाई गई कमेटी को लेकर लोगों के बीच चर्चा है कि क्या इस बार इंदिरापुरम के हस्तांतरण की प्रक्रिया वाकई में पूरी होगी या नहीं? गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी, इंदिरापुरम, योजना लगभग ढाई दशक पहले अमल में आई थी। इस योजना में मूलभूत सुविधाओं की कमी को देखते हुए पिछले लंबे समय से यहाँ के लोग यह मांग कर रहे है।पिछले लगभग एक दशक से यह मुद्दा खासा जोर पकड़ रहा है। इसके चलते इंदिरापुरम योजना का चार बार सर्वे भी कराया जा चुका है। परंतु हर बार बजट की कमी के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में ही चला जाता है। सुबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इंदिरापुरम को नगर निगम को सौंपने की बात कह चुके हैं। परंतु जीडीए द्वारा अपने हिस्से का फंड नहीं दिए जाने के चलते नगर निगम द्वारा हर बार इस मसले पर अपने पांव पीछे खींच लिए जाते हैं।

दरअसल, इंदिरापुरम को विकसित करने की पूरी जिम्मेदारी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की थी। परंतु ढाई दशक से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी जीडीए ने यहाँ अपने हिस्से का कार्य पूर्ण नहीं कराया है। इंदिरापुरम योजना में मूलभूत सुविधाओं और यहाँ मौजूद समस्याओं के विषय में एक बार फिर गंभीरता से जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। 15 सदस्यीय इस कमेटी में 9 सदस्य नगर निगम जबकि 6 सदस्य जीडीए की ओर से होंगे। समिति का अध्यक्ष जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह को बनाया गया है। इंदिरापुरम के मौजूदा सभी पार्षद भी इसे नगर निगम को सौंपने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने लखनऊ जाने तक की योजना भी बनाई थी।

हालाकि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से इंदिरापुरम को नगर निगम के हवाले करने में कोई आपत्ति नहीं है परंतु निगम अधिकारी जीडीए द्वारा दी गई आधी अधूरी सुविधाओं के साथ इंदिरापुरम का हस्तांतरण करने के प्रयासों के विरोध में आ जाते हैं। उनका कहना है कि मूलभूत सुविधाओं के लिए नगर निगम को 270 करोड़ की दरकार रहेगी। इंदिरापुरम को नगर निगम को सौंपने के लिए कवायद तो कई बार की जा चुकी है परंतु हर बार इसमें फंड की कमी ही आड़े आ जाती है। इंदिरापुरम को विकसित करने वाले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को यहां सभी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया करवानी थी परंतु लंबा समय बीत जाने के बाद भी इंदिरापुरम में इनका बेहद अभाव दिखाई देता है।

नगर निगम द्वारा इस विषय में तीन बार सर्वे किया जा चुके है और इन सर्वे में सामने आया है कि इंदिरापुरम के विकास पर जीडीए को अभी भी लगभग 270 करोड रुपए खर्च करने होंगे। परंतु इतनी बड़ी रकम को देने में जीडीए द्वारा हर बार अपने हाथ खड़े कर दिए जाते हैं जिसके चलते इंदिरापुरम को नगर निगम को सौंपने का मामला भी लटक जाता है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के वी सी अतुल वत्स और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह ने अब इस दिशा में एक बार फिर पहल की है। माना जा रहा है कि इन दोनों ही अधिकारियों की गंभीर जुगलबंदी इस बार कोई नतीजा जरूर देगी। इससे इंदिरापुरमवासियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होकर यहां मूलभूत सुविधाएं मिलने का रास्ता भी साफ होगा। हस्तांतरण से पहले या तो जीडीए यहां सभी मूलभूत सुविधाओं को विकसित करे या इस पर होने वाले खर्च को नगर निगम को सौंपे।

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