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भाजपा उपचुनाव में साधेगी जातीय समीकरण या अपने किसी वरिष्ठ नेता के नाम पर करेगी विचार?
सोनू सिंह
गाजियाबाद। शहर विधानसभा सीट पर सभी प्रमुख राजनीतिक दल एक अदद जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रहे हैं। इसके लिए तमाम जातीय समीकरणों का भी गुणा-भाग किया जा रहा है। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और वैश्य समाज की ही सबसे ज्यादा मजबूत दावेदारी मानी जाती है। शहर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के वैश्य समाज से ही आने वाले विधायक अतुल गर्ग के सांसद बनने से खाली हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इस बार के उप चुनाव में भी ब्राह्मण अथवा वैश्य समाज से आने वाले प्रत्याशी पर ही दाव लगाएगी या फिर साल-2012 के मेयर चुनाव की तरह जातीय समीकरणों को दरकिनार कर पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को चुनाव मैदान में उतारेगी।
भारतीय जनता पार्टी यहां के लगभग सभी चुनावों में उम्मीदवारों के चयन के मामले में गाजियाबाद के जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखती थी लेकिन साल 2012 में हुए मेयर चुनाव में भाजपा ने इस तिलिस्म को तोड़ते हुए यहां जातीय समीकरण की बजाय वरिष्ठता को सम्मान देते हुए स्वर्गीय तेलूराम काम्बोज को चुनाव मैदान में उतार दिया था। तेलूराम काम्बोज ने विपरीत समीकरणों के बावजूद मेयर चुनाव में जीत दर्ज की थी। सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी में दावेदारों का एक पूरा सैलाब ही आया हुआ है। दर्जनों पार्षदों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा और कई पूर्व महानगर अध्यक्ष टिकट की दौड़ में हैं। हर कोई अपने-अपने पक्ष में उसकी जाति के मजबूत जातीय समीकरणों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने का सपना देख रहा है। आलम यह है कि कहने को तो भाजपा में चार दर्जन से भी ज्यादा दावेदार सामने आ चुके हैं परंतु अपने दम पर चुनाव जीतने का माद्दा इनमें बहुत कम में ही नजर आता है।