Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

क्या अलीगढ़ बनेगा हरिगढ़?: पहले जिला पंचायत...अब नगर निगम से पास कराया प्रस्ताव; फिर भी आसान नहीं ये प्रक्रिया

Abhay updhyay
8 Nov 2023 9:37 AM GMT
क्या अलीगढ़ बनेगा हरिगढ़?: पहले जिला पंचायत...अब नगर निगम से पास कराया प्रस्ताव; फिर भी आसान नहीं ये प्रक्रिया
x

अलीगढ़ नगर निगम बोर्ड के अधिवेशन में सोमवार को शोर-शराबे और हंगामे के बीच अलीगढ़ शहर का नाम हरिगढ़ करने का प्रस्ताव पास हो गया। यह प्रस्ताव अब शासन को भेजा जाएगा। भाजपा पार्षद संजय पंडित के सुझाव पर अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया था। वहीं, अलीगढ़ को हरिगढ़ करने पर समाजवादी पार्टी में विरोध प्रदर्शन किया। पहले, सपा पार्षदों ने नगर निगम में विरोध जताया, फिर मेयर को ज्ञापन देकर एतराज जताया।

अलीगढ़ नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई। इसी बीच भाजपा के पार्षद संजय पंडित ने अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पास हो गया। अब यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा, तब शाासन ही उसको अनुमति प्रदान करेगा।

हिंदू गौरव दिवस पर डिप्टी सीएम ने दिए थे हरिगढ़ के संकेत

यह पहला मौका नहीं, जब हरिगढ़ की आवाज बुलंद हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित हिन्दू गौरव दिवस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी यही संदेश दिया था। कहा था, यूपी की सभी लोस सीटें फिर से जिताकर कल्याण सिंह का सपना साकार करने का संकल्प लेना होगा। यही हरिगढ़ की धरती से संकल्प लेकर कल्याण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

आज उनके उसी संकेत को भाजपा के पार्षद ने सुझाव के रूप में नगर निगम के अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कराया है। ये संकेत हैं भाजपा की तैयारी के अब इस प्रस्ताव को शासन में भेजा जाएगा। वहां से इस पर अंतिम मोहर लगेगी। बता दें कि पूर्व में जिला पंचायत बोर्ड भी यह प्रस्ताव पारित कर चुका है। पूर्व में जिला पंचायत बोर्ड भी हरिगढ़ का प्रस्ताव पारित कर चुका है।

नगर निगम की बैठक में अलीगढ़ का नाम बदल कर हरिगढ़ करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर महापौर प्रशांत सिंघल ने कहा कि छह नवंबर को बैठक में एक पार्षद संजय पंडित द्वारा एक प्रस्ताव अलीगढ़ को हरिगढ़ करने का रखा गया। जिसको सर्वसम्मति से सभी पार्षदों ने पास करा दिया। अब इसे आगे भेजा जाएगा। मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द शासन इसे संज्ञान में लेकर अलीगढ़ के नाम को हरिगढ़ करने की हमारी मांग को पूरी करेगा।


https://x.com/AHindinews/status/1721785344734224517?s=20


अलीगढ़ को हरिगढ़ करने पर सपा में उबाल, विरोध-प्रदर्शन

अलीगढ़ नगर निगम बोर्ड के अधिवेशन में अलीगढ़ को हरिगढ़ नाम दिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित होने का सपा सहित अन्य विपक्षी पार्षदों ने विरोध शुरू कर दिया है। विपक्षी पार्षदों का तर्क है कि यह प्रस्ताव उनकी गैर मौजूदगी यानि उनके सदन से जाने के बाद लाया गया और पारित किया गया जो असंवैधानिक है। इसे लेकर सपा पार्षदों ने नगर निगम में विरोध किया। मेयर से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया। वहीं, नगर निगम बोर्ड में पारित इस प्रस्ताव को अब शासन में भेजे जाने की तैयारी शुरू कर दी है।


सपा पार्षदों ने पहले नगर निगम में किया विरोध

सपा पार्षद दल के नेता व मुख्य सचेतक क्रमश: असलम नूर व हाफिज अब्बासी ने बताया कि एजेंडे में शामिल किसी पार्षद के सुझाव को प्रस्ताव के तौर पर कैसे पास कर दिया गया। यह भी उस वक्त जब विपक्षी पार्षद वहां मौजूद नहीं थे। वे देर शाम अपनी बात रखने के बाद वहां से जा चुके थे। उनका कहना है कि सुझाव को सुझाव के तौर पर रखा जाता है। ये भाजपा पिछले 25 साल से लगातार प्रयास करती आ रही है। मगर, सफल नहीं हो रही।

इसी क्रम में दोपहर में सपा पार्षदों का दल पहले नगर निगम पहुंचा। जहां नगर आयुक्त के न मिलने पर अपर नगर आयुक्त के समक्ष विरोध दर्ज कराया। बाद में नगर निगम गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। बाद में ये सभी मेयर से मिलने पहुंचे। जहां मेयर को विरोध संबंधी ज्ञापन सौंपा। इस दौरान पार्षदों ने कहा कि वे इसके विरोध में हैं और जरूरत हुई शासन तक जाएंगे और आंदोलन करेंगे।

इसे लेकर सपा पार्षदों का कहना है कि मेयर व नगर आयुक्त मनमर्जी कर रहे हैं। मेयर चंद पार्षदों को 11 से 15 हजार रुपये की राशि सम्मान में बांट रहे हैं तो क्या सपा के पार्षद सम्मान के योग्य नहीं हैं जो उनकी अनदेखी की गई है। इस दौरान आसिफ अल्वी, अकिल अहमद, उम्मेद आलम, विनीत यादव, गुलजार गुड्डू, सूफियान, विजेंद्र, शमीम अहमद, नदीम, गुलफाम अहमद, उस्मान आदि पार्षद शामिल रहे।

पार्षद संजय पंडित का यह सुझाव एजेंडे में शामिल था। एजेंडे की प्रति कई दिन पहले सभी पार्षदों को पहुंची थी। अगर उन्हें एतराज था तो वे इस सुझाव को अनसुना कर क्यों गए। अब इसे सदन ने पारित किया है। अधिवेशन के मिनिट्स में शामिल है। अब इसे नियमानुसार शासन को भेजा जाएगा। -प्रशांत सिंघल, मेयर

यहां मांग पिछले बोर्ड में भी उठी थी। इस बार भी एजेंडे में सुझाव के रूप में शामिल रही। राष्ट्रगान से पहले सुझाव संजय पंडित ने रखा, जिसे सदन ने पारित किया। अब इसका विरोध गलत है।-पुष्पेंद्र सिंह जादौन, पार्षद


पहले जिला पंचायत से कराया प्रस्ताव, अब नगर निगम से

इसे लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा की सोची समझी राजनीति करार दिया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले इसी तरह जिला पंचायत बोर्ड से जिले का नाम हरिगढ़ कराने का प्रस्ताव पारित कराया था, जिसे शासन को भेजा गया था। अब नगर निगम बोर्ड से महानगर का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित करने का प्रोपेगेंडा रचा है। ये चुनाव से पहले की सोची समझी राजनीति है। नेताओं के अनुसार भाजपा की इस राजनीति को सभी जानते हैं।


यह चुनावी फॉर्मूला है: जमीरउल्लाह

सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्लाह का कहना है कि यह चुनावी फॉर्मूला है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में ऐसा कोई न तो प्रस्ताव आया और न पारित हुआ। सपा के पार्षदों के सामने ऐसा नहीं हुआ। मीडिया में भाजपा पार्षदों ने झूठी खबर दी है। ये चुनाव को देखते हुए जनता को लुभाने का फार्मूला है। उन्होंने कहा कि शहर का नाम बदलने से विकास नहीं होगा। मगर जनता सब जानती है। अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने पर इसकी छवि को नुकसान होगा। इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। अलीगढ़ के कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। भाजपा पहले सुविधाओं पर ध्यान दें।


'भाजपाई पहले अलीगढ़ के इतिहास को पढ़ें'

वहीं कांग्रेस प्रदेश चिकित्सा प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष डा. ऋचा शर्मा ने कहा है कि अलीगढ़ की ऐतिहासिकता को नष्ट करने की इन हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ये शहर मिली जुली संस्कृति के लिए दुनिया में जाना जाता है। सरकार ने नाम बदलने की ओछी हरकत की तो शिक्षा व व्यवसाय तथा संस्कृति तीनों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भाजपाई पहले अलीगढ़ के इतिहास को पढ़ें। अलीगढ़ शब्द शुद्ध संस्कृत व हिन्दी शब्द अली जिसका अर्थ है सखी तथा गढ़ यानी किला से मिलकर बना है। भगवान कृष्ण की सखियों यानी गोपियों के लिए बना किला अलीगढ़ कहलाया। बाद में शहर कोल की बजाय अलीगढ़ कहलाया।


आसान नहीं है नाम बदलने की प्रक्रिया

देश में कई दशक से जिले और शहरों के नाम बदले जाते रहे हैं। हालांकि, किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती है। इसके लिए कई प्रकार की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। बिना इन प्रक्रिया के कोई भी सरकार किसी भी शहर या जिले के नाम को नहीं बदल सकती है। नाम बदलने के लिए राज्य ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार की भी सहमति लेनी होती है। किसी शहर का नाम बदलने के लिए सबसे पहले नगर पालिका या नगर निगम से प्रस्ताव पास होता है। इसके बाद प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के पास भेजा जाता है। राज्य कैबिनेट में हरी झंडी मिलने के बाद नए नाम का गजट जारी किया जाता है। इसके बाद ही नए नाम की शुरुआत होती है। किसी भी जिले या शहर का नाम में बदलने में काफी रुपये भी खर्च हो जाते हैं। यह खर्च 200 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपये तक भी हो सकता है।

Abhay updhyay

Abhay updhyay

    Next Story