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उत्तर प्रदेश

राम मंदिर आंदोलन के चेहरे रहे विनय कटियार को मिला निमंत्रण, पर जाना अभी तय नहीं, बताई वजह

SaumyaV
14 Jan 2024 7:31 AM GMT
राम मंदिर आंदोलन के चेहरे रहे विनय कटियार को मिला निमंत्रण, पर जाना अभी तय नहीं, बताई वजह
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कटियार ने कहा कि कांग्रेस को तो निमंत्रण ठुकराना ही था। सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी की पार्टी से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है। ये सभी राम विरोधी हैं।

भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है। राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने के फलस्वरूप रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उन्हें भी आमंत्रित किया है। हालांकि अभी उन्होंने समारोह में जाना तय नहीं किया है। इसके पीछे स्वास्थ्य को कारण बताया है। यदि तबीयत ठीक रही तो जाने का सुअवसर नहीं छोड़ेंगे।

विनय कटियार ने राम मंदिर आंदोलन में बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष के तौर पर योगदान दिया था। इनकी पहचान फायर ब्रांड नेता के रूप में रही है। मंदिर आंदोलन के ही नाते उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। आज की अयोध्या जब फैजाबाद थी तो वह सांसद भी रह चुके हैं। भाजपा के संगठन व सरकार में कई दायित्व निभाए। पार्टी ने इन्हें सांसद बनाकर राज्यसभा भी भेजा। पिछले कुछ समय से वह स्वास्थ्य कारणों से अज्ञातवास पर चल रहे हैं। पार्टी की गतिविधियों से भी खुद को दूर कर रखा है।

ऐसे ही दौर में उनसे जब मुलाकात हुई तो वह राम मंदिर बनने की खुशी से लबरेज दिखे। आंदोलन के समय को याद करते हुए बताया कि कारसेवा में रामभक्तों ने कोई मस्जिद नहीं, महाजिद को ध्वस्त किया था। सब कुछ पहले से तय था, पूर्व योजना के अनुसार ही रामकाज को अंजाम तक पहुंचाया गया। अब जब लाखों रामभक्तों के बलिदान और योगदान के फलस्वरूप मंदिर बनकर तैयार है। रामलला उसमें विराजने वाले हैं तो हम जैसे रामसेवकों के मन में क्या चल रहा है, उसे व्यक्त नहीं कर सकते है। इसे सिर्फ दिल की गहराइयों से महसूस ही किया जा सकता है।

कटियार ने कहा कि कांग्रेस को तो निमंत्रण ठुकराना ही था। सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी की पार्टी से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है। ये सभी राम विरोधी हैं। राम मंदिर बन जाने के दर्द से परेशान हैं। जिस काम को अपनी सरकारों में होने नहीं दिया, आज जब वह पूरा हो रहा तो व्याकुल हैं। इन सबको पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से सीख लेनी चाहिए। यदि वो आज जिंदा होते तो जरूर आते। स्मृतियों को ताजा करते हुए बताया कि जब ढांचा गिराया गया तो उसके बाद उनकी तत्कालीन पीएम राव से फोन पर बात हुई थी, वे बहुत खुश थे। दो शंकराचार्यों के बयानबाजी पर कहा कि वे आएं या न आएं, ऐसे महा उत्सव पर इस तरह के विषय कोई मायने नहीं रखते हैं।

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