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उत्तर प्रदेश

यूपी पॉलिटिक्स: कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर शाह-योगी ने खींची बड़ी सियासी लकीर, 45 जिलों के वोट बैंक पर दिखेगा असर

Abhay updhyay
22 Aug 2023 12:06 PM GMT
यूपी पॉलिटिक्स: कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर शाह-योगी ने खींची बड़ी सियासी लकीर, 45 जिलों के वोट बैंक पर दिखेगा असर
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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर भाजपा के दिग्गजों का फोकस पूरी तरह से 2024 के चुनाव पर रहा। गृह मंत्री अमित शाह ने बात की शुरुआत भारत माता के जयकारे से की लेकिन बाद में कल्याण और पिछड़े वर्ग की राजनीति पर ज्यादा जोर दिया.

आखिर पिछड़ों में भाजपा के लिए सबसे प्रभावी लोधी समाज कल्याण के नाम से जुड़े रहे हैं। प्रदेश के 45 जिलों में लोधी समाज की अच्छी खासी संख्या है. इनमें से कल्याण सिंह खुद एटा और बुलंदशहर से सांसद रह चुके हैं. इतना ही नहीं, साल 2014 में कल्याण की सिफारिश पर बीजेपी ने कई उम्मीदवार उतारे थे.राजनीति में आने से पहले ही कल्याण सिंह ने लोधी राजपूत समाज में पकड़ बनाने का काम शुरू कर दिया था। किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद उन्होंने लोधी समाज के लिए भी काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने ऐसी पकड़ बना ली कि समाज में उन्हें बाबूजी कहा जाने लगा।

समाज में अच्छी पकड़ के चलते कल्याण सिंह एटा और बुलन्दशहर से सांसद बने। दोनों ही सीटों पर लोध मतदाताओं का दबदबा है। अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा सीट से 10 बार विधायक बने. समाज का एकछत्र नेता होने का फायदा आज भी बीजेपी को मिल रहा है.उनके बेटे राजवीर सिंह एटा से लगातार दूसरी बार सांसद हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में भी कल्याण के कई समर्थकों ने टिकट पाकर जीत हासिल की। ऐसे में अमित शाह ने कल्याण और मोदी की राह को एक बता दिया.बताया कि कल्याण राजनीति के केंद्रीय मुद्दे भी मोदी की प्राथमिकता में हैं। ये बात भी समर्थकों पर असर करती दिखी.शाह ने कल्याण के प्रति किस प्रकार सम्मान दिखाया, यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्होंने उन्हें चार बार श्रद्धेय बाबूजी कहकर संबोधित किया। बाद में योगी ने कल्याण सिंह की जमकर तारीफ भी की. यहां तक कि योगी कल्याण की मृत्यु के अवसर पर उनके अंतिम संस्कार तक वे यहीं रुके रहते थे।

लोध राजपूतों के प्रभाव वाले जिले

प्रान्तीय लोधी क्षत्रिय राजपूत सभा के प्रान्तीय उपाध्यक्ष साहब सिंह राजपूत के अनुसार बुलन्दशहर, अलीगढ, हाथरस, कासगंज, आगरा, एटा, इटावा, मैनपुरी, जालौन, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बांदा, हमीरपुर, चित्रकोट, फ़तेहपुर, कौशाम्बी, कानपुर देहात ,कानपुर नगर, औरैया, ललितपुर, झाँसी, फ़तेहपुर, बदायूँ, रामपुर, बरेली, पिलीभीत,अमरोहा,रायबरेली,अमेठी,मुरादाबाद,शाहजहांपुर,हरदोई,फीरोजाबाद,पीलीभीत,लखीमपुर खीरी,सिद्धार्थनगर,अयोध्या,उन्नाव,लखनऊ,बाराबंकी, सीतापुर, बहराईच, प्रयागराज, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र समेत 45 जिलों में लोधी राजपूतों का दबदबा है।

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