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सड़कों पर दौड़ रही हैं अनफिट बसें, गाजियाबाद का प्रदेश में रहा दूसरा स्थान
-गाजियाबाद जिले में अनफिट और मानक के खिलाफ मिले 630 बसों पर कार्रवाई
सोनू सिंह
गाजियाबाद। जनपद में अनफिट बसें आज भी सड़कों पर दौड़ रही हैं जबकि अनफिट बसों से कई हादसे हो चुके हैं। बस हादसे के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चलाए जाने का निर्देश दिया था। उस क्रम में जब पूरे प्रदेश में अनफिट और मानक के विपरीत बसों की संख्या की जानकारी एकत्रित की गई, तो गाजियाबाद का प्रदेश में दूसरा स्थान है। तो वहीं पहला स्थान वाराणसी का है।
गाजियाबाद जिले में अनफिट और मानक के खिलाफ बस की संख्या 630 हैं जबकि वाराणसी में इस श्रेणी की बसों की संख्या 687 है। इस पर शासन की तरफ से निर्देश दिया गया है कि जिन बसों की रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, इंश्योरेंस और बीमा की वैधता की अवधि खत्म हो चुकी है। अगर बस मालिक मानक के अनुरूप बस का संचालन नहीं कर रहे हैं तो ऐसी बसों को पकड़कर रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी के माध्यम से नियमानुसार स्क्रैप करवाया जाए। जिससे ऐसे बसों को जिले से खत्म किया जा सके। फिलहाल शासन की तरफ से जारी निर्देश के क्रम में आरटीओ की तरफ से ऐसे सभी बस मालिकों को बसों को स्क्रैप करवाने का नोटिस जारी किया जा रहा है। सीएम के निर्देश के बाद डग्गामार बसों के खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत जिले में 685 बसों को चेक किया गया। इसमें 658 वाहन फिट पाए गए जबकि 27 वाहन मानक के हिसाब से नहीं मिले।
आरटीओ प्रवर्तन केडी सिंह ने बताया कि वाहन फिट होने के बाद जिस रूट का परमिट दिया गया है। उस पर न चलकर दूसरे पर चलने का मामला सामने आया है जिसकी वजह से 103 बसों का चालान किया गया। ऐसी 90 बसों को बंद किया गया है। जुर्माने के रूप में 15 लाख 56 हजार रुपये वसूले गए हैं जबकि 7 लाख 42 हजार रुपए टैक्स वसूलने की कार्रवाई की गई है। एआरटीओ राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि एनसीआर के जिले में बसों के संचालन की अवधि 10 साल होती है जबकि बाकी जिलों में 15 साल है। लोग 10 साल बाद बसों का संचालन नहीं करते हैं लेकिन बिक्री के लिए ग्राहक की तलाश करते रहते हैं। जिसकी वजह से वह बसों का स्क्रैप नहीं करवाते हैं। इसकी वजह से पोर्टल पर ऐसी बसों की संख्या अधिक दिखाई देती है। फिलहाल नोटिस जारी करके स्क्रैप करवाने का निर्देश दिया गया है।