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फल,सब्जियां और चारा के चलते इंद्र और कृष्ण में ठन गई थी, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी
नई दिल्ली। कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। जन्माष्टमी को किसी त्योहार के रूप में नहीं बल्कि उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। आज के दिन लोग व्रत भी रखते हैं। साथ ही भगवान कृष्ण की प्रार्थना करते हैं और मंदिर में जाकर दर्शन जरूर करते है। उन्हें प्रसाद के रूप में छप्पन भोग अर्पित करते हैं।
भगवान कृष्ण को छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है?
भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाने के पीछे भी एक वजह है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रज के लोग देवराज इंद्र को प्रसन्न करने के लिए महोत्सव रखते थे। तो एक बार बाल गोपाल कृष्ण ने अपने पिता नंद बाबा से सवाल पूछा कि लोग आखिर ये महोत्सव क्यों करते हैं। तो नंद बाबा ने बताया कि यह पूजा इंद्र को प्रसन्न करने के लिए की जाती है ताकि वो हर साल भरपूर वर्षा करें। मगर श्रीकृष्ण ने फिर भी ये सवाल किया कि वर्षा के लिए इंद्र की ही क्यों पूजा करें। इसके बजाय लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए जो फल,सब्जियां और चारा प्रदान करते हैं।
इस बात को सुनकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और गुस्से में उन्होंने ब्रज क्षेत्र में बारिश कर दी जिससे वहां बाढ़ आ गई। गांव वालों के बचाव में श्रीकृष्ण ने लोगों को गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण लेने का निर्देश दिया। गोवर्धन पर्वत को श्रीकृष्ण ने अपने बाएं हाथ की छोटी उंगली से उठा लिया और सभी से शरण लेने को कहा साथ ही लोगों को लाठी का सहारा लेने को कहा। सात दिनों तक श्रीकृष्ण ने बिना कुछ खाए पर्वत को उठाया। आठवें दिन जब वर्षा बंद हुई तो गांव वालों ने भगवान कृष्ण का आभार व्यक्त करने के लिए सात दिनों का व्यंजन उस दिन बनाकर श्री कृष्ण को खिलाया और साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि माता यशोदा कृष्ण भगवान को एक दिन में 8 बार खाना खिलाती थी। इसलिए उनके लिए 7 दिन का खाना एक साथ बनाकर खिलाया गया। तब से कृष्ण भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है।
जन्माष्टमी के दिन कान्हा को कौन सा भोग लगाया जाता है?
जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी के लिए विशेष रूप से धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है। कान्हा जी को धनिये की पंजीरी का भोग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन उन्हें प्रसाद के रूप में धनिये की पंजीरी चढ़ाई जाती है।
जन्माष्टमी का व्रत कैसे करें?
जो लोग जन्माष्टमी का व्रत कर रहे हैं उन्हें इस व्रत का पारण समय और विधि अनुसार करना चाहिए। सबसे पहले भगवान कृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें प्रणाम करें। फिर पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद जैसे- माखन, मिश्री, खीरा या पंजीरी आदि को ग्रहण करें। इसके बाद सात्विक भोजन करें जिसमें लहसून, प्याज न हो।
कृष्ण जन्मोत्सव को मनाने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। मथुरा से लेकर ब्रज तक भक्तों से भीड़ दिखती है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान, ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, प्रेम व इस्कॉन मंदिर में दर्शन के लिए रविवार को ही हजारों लोग की भीड़ उमड़ पड़ी है और यह सिलसिला आज रात तक जारी रहेगा।