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उत्तर प्रदेश

600 कारीगर, 200 मजदूर और 19 इंजीनियर की 19 साल की मेहनत है स्वर्वेद महामंदिर, दीवारों पर हैं 4000 दोहे

SaumyaV
18 Dec 2023 6:56 AM GMT
600 कारीगर, 200 मजदूर और 19 इंजीनियर की 19 साल की मेहनत है स्वर्वेद महामंदिर, दीवारों पर हैं 4000 दोहे
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स्वर्वेद महामंदिर विश्व का अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र है। 182 फीट ऊंचे और 80 हजार वर्गफीट क्षेत्र में निर्मित मंदिर में एक साथ 20 साधक योग और साधना कर सकेंगे। महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे, वेदों के मंत्र और संतों की वाणियों को सफेद मकराना संगमरमर पर उकेरा गया है। सात तल वाले महामंदिर के हर तल पर सद्गुरुदेव की संगमरमर की सुंदर मूर्ति सुसज्जित हो रही है। स्वर्वेद महामंदिर धाम के दरवाजे विश्व के सभी वर्ग-संप्रदाय के लिए खुले हैं।

वाराणसी के उमरहा में स्थित स्वर्वेद महामंदिर दुनिया का अनोखा मंदिर है। स्वर्वेद महामंदिर विश्व का अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र है। 182 फीट ऊंचे और 80 हजार वर्गफीट क्षेत्र में निर्मित मंदिर में एक साथ 20 साधक योग और साधना कर सकेंगे। महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे, वेदों के मंत्र और संतों की वाणियों को सफेद मकराना संगमरमर पर उकेरा गया है।


सात तल वाले महामंदिर के हर तल पर सद्गुरुदेव की संगमरमर की सुंदर मूर्ति सुसज्जित हो रही है। स्वर्वेद महामंदिर धाम के दरवाजे विश्व के सभी वर्ग-संप्रदाय के लिए खुले हैं। महामंदिर के भीतर 404 खंभों और छह मंचों पर जीवंत नक्काशी की गई है। भीतर की छतों पर नक्काशीदार गुंबद हैं। छत पर नक्काशीदार लकड़ी व कांच की कलाकृतियां भी हैं। महामंदिर का ढाई लाख वर्गफीट फर्श भी श्वेत संगमरमर से सुसज्जित है।

हर तल पर बाहर की ओर सैंडस्टोन से बने कुल 134 आध्यात्मिक संदर्भ लगाए गए हैं जिनमें महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेशों और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को चित्र के माध्यम से उकेरा गया है। सबसे ऊपर के तल पर 238 क्षमता वाले दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम हैं। महामंदिर के भूतल में सत्संग भवन और साधना के लिए गुफाओं का निर्माण किया गया है। दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए दो कैप्सूल लिफ्ट सहित चार लिफ्ट महामंदिर में लगाई गई हैं।

सात मंजिला और 180 फीट ऊंचे स्वर्वेद महामंदिर की संगमरमरी दीवारों पर स्वर्वेद के चार हजार दोहे लिखे हैं। 19 साल तक लगातार छह सौ कारीगर, दो सौ मजदूर और 15 इंजीनियर की मेहनत आज महामंदिर के पूर्ण स्वरूप में साकार हो चुकी है। हालांकि मंदिर का प्रथम तल ही आम लोगों के लिए खुल गया है। इसे पूरी तरह शुरू होने में दो साल का समय और लगेगा। इसे पीएम नरेंद्र मोदी ने आम जनता को समर्पित कर दिया है। स्वर्वेद महामंदिर देश ही नहीं दुनिया का अनोखा मंदिर है। यहां देवी और देवता की प्रतिमा नहीं है। मंदिर में पूजा की जगह ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए योग साधना की जाएगी।

मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा परिपथ

गुरु परंपरा को समर्पित इस महामंदिर को योग साधकों की साधना के लिए तैयार किया गया है। 100 करोड़ की लागत से तैयार मंदिर आम साधकों व श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है। संत प्रवर विज्ञान देव महाराज के अनुसार, शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर उमरहा में स्थित स्वर्वेद महामंदिर का निर्माण दिसंबर 2004 में शुरू हुआ था।

ग्राउंड फ्लोर पर सद्गुरु सदाफल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर आधारित प्रदर्शनी व गुफा, सत्संग हॉल बनाया गया है। प्रथम तल पर स्वर्वेद प्रथम मंडल के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर 28 प्रसंग जो वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण की थीम लेकर बनाए गए हैं।

प्रथम तल से पांचवें तल तक आंतरिक दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर उपनिषद, गीता, रामायण के प्रेरक प्रसंग दर्शाए गए हैं। सातवें तल पर आधुनिक तकनीक से युक्त दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम हैं। इसमें साधक विहंगम योग के सैद्धांतिक व क्रियात्मक बोध का ज्ञान प्राप्त करेंगे। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा परिपथ है और फौव्वारे लगाए गए हैं। बाहर वन्य जीवों हाथी, हिरन की प्रतिकृतियां गुलाबी सैंड स्टोन से बनाए गए हैं।

विशाल साधना केंद्र स्वर्वेद महामंदिर शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक है। 64 हजार वर्ग फीट में बने सात मंजिला महामंदिर का निर्माण करीब 19 साल पहले शुरू हुआ था। मुख्य गुंबद 125 पंखुड़ियों के विशालकाय कमल पुष्प की तरह है। स्वर्वेद महामंदिर धाम में मई 2017 में 21 हजार कुंडीय स्वर्वेद उत्तरार्द्ध ज्ञान महायज्ञ हुआ था। उस वक्त इसे इतिहास के सबसे विशालतम यज्ञ की संज्ञा भी दी गई थी।

गुजरात में जीआरसी तकनीक से बनाए गए नौ गुंबद नौ कमलों की तरह हैं। महामंदिर परिसर में 100 फीट ऊंची सद्गुरुदेव की सैंड स्टोन की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। होगी। तीन लाख वर्ग फीट में गुलाबी पत्थरों पर की गई नक्काशी भी खास है। प्राचीन स्थापत्य कला के समन्वय से बने इस दिव्य आध्यात्मिक केंद्र की एक झलक पाने के लिए दुनिया के अनुयायी उत्सुक हैं।

महामंदिर में मकराना पत्थर पर स्वर्वेद के दोहे अंकित हैं। 50 हजार वर्ग फीट पर वाटर जेट तकनीक से पांच हजार दोहे उत्कीर्ण हो रहे हैं। महामंदिर को खूबसूरत बनाने के साथ ही वास्तुशिल्प का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पूर्व दिशा में प्रवाहित नहर जल राशि के रूप में स्थापित है।

महर्षि सदाफलदेव की अमूल्य कृति है स्वर्वेद

योगी सदगुरु महर्षि सदाफलदेव की अमूल्य कृति है स्वर्वेद। स्वरर्वेद का मतलब है आत्मा से ज्ञान की प्राप्ति। महर्षि सदाफल देव महाराज ने 17 सालों की साधना के बाद स्वर्वेद के ज्ञान को आम जनमानस को उपलब्ध कराया। हिमालय की कंदराओं में उन्होंने ग्रंथ स्वर्वेद को लिपिबद्ध किया। स्वर्वेद चेतन योग समाधि की अवस्था में प्राप्त प्रत्यक्ष आध्यात्मिक अनुभवों का संकलन है। इस ग्रंथ में अनुभूति एवं अभिव्यक्ति का अद्भुत सामंजस्य है। परमाणु से परमात्मा तक के समस्त ब्रह्म तत्व ज्ञान एवं अभ्यंतर भेद साधन को सरल हिंदी भाषा में दोहों के रूप में संजोकर स्वर्वेद ग्रंथ बनाया गया। स्वर्वेद ग्रंथ के पांच मंडल हैं।

स्वर्वेद से मिली स्वर्वेद महामंदिर की प्रेरणा

स्वर्वेद ग्रंथ से स्वर्वेद महामंदिर निर्माण की प्ररेणा मिली। आचार्य स्वतंत्र देव महाराज व उनके बेटे प्रवर संत विज्ञान देव महाराज ने इसकी स्थापना की और आज यह बनकर तैयार हो चुका है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर सदगुरू महर्षि सदाफलदेव महाराज की प्रतिमा का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 दिसंबर को मंदिर लोकार्पण के अवसर पर करेंगे।

शीर्ष पर हैं 125 पंखुड़ियों वाले नौ कमलाकार गुंबद

महामंदिर के शीर्ष पर गुजरात से मंगाए गए और जीआरसी तकनीक से बने 125 पंखुड़ियों वाले नौ कमलाकार गुंबद हैं। राजस्थान के बंसीपहाड़पुर से मंगाए गए तीन लाख घनफीट सुंदर गुलाबी सैंडस्टोन की नक्काशीदार कलाकृतियों के जरिये भी आध्यात्मिक संदेश दिए गए हैं। बाहरी झरोखों पर 132 ऋषियों-ऋषिकाओं और साधकों की भी मूर्तियां लगी हैं। महामंदिर के प्रांगण में सुंदर बगीचा भी विकसित किया जा रहा है। परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग और ड्रिप इरिगेशन आदि आधुनिक तकनीकों का उपयोग हुआ है।

मंदिर की विशेषताएं

  • 64 हजार स्क्वायर फीट में सात मंजिला मंदिर
  • तीन लाख स्क्वायर फीट में गुलाबी सैंड स्टोन
  • तीन लाख वर्गफीट में श्वेत मकराना संगमरमर
  • मंदिर का कुल क्षेत्रफल है ढाई लाख वर्गफीट
  • 80 हजार वर्गफीट पर हुआ है मंदिर का निर्माण
  • 20 हजार साधक एक साथ कर सकेंगे साधना
  • चार हजार स्वर्वेद के दोहों को दीवार पर किया गया है अंकित
  • 180 फीट है सात मंजिला मंदिर की ऊंचाई
  • 135 फीट ऊंची सदगुरुदेव ककी सैंडस्टोन की प्रतिमा होगी स्थापित
  • सदाफल देव ने बनाया था प्रथम उत्तराधिकारी, चली आ रही है परंपरा
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