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उत्तर प्रदेश

मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, हाईकोर्ट जाने का दिया सुझाव

Suman Kaushik
1 Feb 2024 7:20 AM GMT
मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, हाईकोर्ट जाने का दिया सुझाव
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ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा के अधिकार पर रोक लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को हाई कोर्ट जाने का सुझाव दिया है।

ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा पर रोक लगाने की मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। जिला अदालत के व्यास तहखाना में पूजा की इजाजत देने वाले आदेश के खिलाफ कमेटी की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मसाजिद कमेटी को हाई कोर्ट जाने का सुझाव भी दिया।

आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी तहखाने में पूजापाठ के वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद पक्ष ने आज तड़के तीन बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। CJI ने फाइल देखने के बाद मस्जिद पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। CJI ने मुस्लिम पक्ष के वकीलों से कहा कि आपको कोई भी राहत चाहिए तो आप हाईकोर्ट जा सकते हैं।

30 साल बाद पूजा-पाठ की दी थी इजाजत

गौर रहे कि जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में 30 साल बाद पूजा-पाठ की इजाजत दी थी। आदेश पर अमल करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा में तहखाने में देर रात से ही पूजा-अर्चना शुरू करा दी। गुरुवार तड़के मंगला आरती भी हुई।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि व्यासजी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग व्यास परिवार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के पुजारी से कराएं।

जिला जज ने अपने ऑर्डर में लिखा है कि रिसीवर जिला मजिस्ट्रेट को यह निर्देश दिया जाता है कि वह चौक थाना क्षेत्र के सेटलमेंट प्लाट नंबर-9130 में स्थित भवन के दक्षिण के तरफ स्थित तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग पुजारी से कराएं।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इस संबंध में रिसीवर सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ का उचित प्रबंध कराएं। अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि 8 फरवरी दी है। इस बीच वादी और प्रतिवादी पक्ष अपनी आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं।

ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी का तहखाना जिलाधिकारी को सुपुर्द किए जाने और वहां दिसंबर 1993 के पहले के जैसे ही पूजा-पाठ करने की अनुमति के संबंध में 25 सितंबर 2023 को जिला अदालत में शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने वाद दाखिल किया था।

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