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- तो क्या यूपी में...
यूपी की सियासत में PDA अखिलेश का बड़ा पैतरा है। चुनाव करीब है, BJP को सत्ता से हटाने के लिए अखिलेश विपक्ष की जुटता का संदेश देना चाहते हैं। मगर, मायावती, ओम प्रकाश राजभर, जयंत चौधरी और कांग्रेस नेताओं के तेवर कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि PDA यूपी में डैमेज होगा या सभी पॉलिटिकल पार्टियों के साथ मैनेज होगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद कहा था, "सब लोग दिल बड़ा करके आगे बढेंगे। इस बार जनता एक है, एनडीए को PDA हराएगा। पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक मिलकर इस बार भारतीय जनता पार्टी का सफाया करेंगे"
यहीं नहीं, अखिलेश ने पिछले महीने कहा था, "आने वाले लोकसभा चुनाव में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) की एकता राजग-बीजेपी पर भारी पड़ेगी।"
सभी 80 लोकसभा सीट पर बीजेपी को हराने का नारा देते हुए कहा, "हमारा नारा है 80 हराओ-बीजेपी हटाओ। इसलिए 2024 में PDA- पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों की एकता राजग गठबंधन पर भारी पड़ेगी।"
अखिलेश के दावे के बाद PDA का समीकरण समझिए...
PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। ताकत की बात करें तो अनुमानों के मुताबिक यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी करीब 41 फीसदी है। जिसमें करीब 10 फीसदी यादव हैं। दलित आबादी करीब 21 फीसदी और अल्पसंख्यक आबादी भी करीब 20 फीसदी होने का अनुमान है। ऐसे में देखें तो यूपी में कुल करीब 82 फीसदी आबादी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों की है।