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गाजियाबाद उपचुनाव को लेकर रस्साकशी का दौर शुरू, मैदान में उतरने को कांग्रेस ने कसी कमर
सोनू सिंह
गाजियाबाद। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा ने कई सीटों पर कब्जा किया है और कांग्रेस भी बेहतर प्रदर्शन के साथ आई है। अयोध्या जैसी सीट पर सपा ने जीत का परचम लहराया है। अमेठी में कांग्रेस ने भाजपा की स्मृति ईरानी को हराया है। अब कांग्रेस ने गाजियाबाद सदर सीट पर होने उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। राजनीतिक गलियारे में हो रही चर्चाओं की माने तो इस सीट पर इंडिया गठबंधन कांग्रेस को टिकट दे सकता है। इस सीट पर सपा के मजबूत पकड़ नहीं बताई जा रही है।
मेरठ जैसी सीट पर भले ही भाजपा के राम जीत गये लेकिन उन्हें संघर्ष करना पड़ गया और एक तरीके से वो हारते हारते जीत गये। गाजियाबाद में भी भाजपा का जीत का रिकॉर्ड कायम रहा है लेकिन यहां भाजपा को कांग्रेस ने टक्कर दी है। जो भाजपा आठ लाख से जीत का दावा कर रही थी उस भाजपा को तीन लाख से ही जीत मिली। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा और कांग्रेस का पैक्ट रहेगा, ये लगभग तय माना जा रहा है। इसी के साथ गाजियाबाद की सदर विधानसभा सीट यानी शहर सीट पर ये चर्चा शुरू हो गई है कि यहां विपक्ष का वो दावेदार फायदे में रहेगा जो सपा से नहीं बल्कि कांग्रेस से चुनाव लड़ेगा। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव में जो वोट बैंक बसपा से छिटका और जो भाजपा से नाराज होकर गया वो कांग्रेस के पास गया।
शहरी इलाकों में आज भी वोटर वर्ग में कांग्रेस की स्वीकार्यता है। हाथी वाला वोट अब हाथ पर ट्रांसफर हो रहा है। ऐसे में उपचुनाव को लेकर ये चर्चा आम है कि यहां फायदे में वही रहेगा जो कांग्रेस के सिम्बल पर पर्चा भरेगा। इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि अब मुस्लिम वर्ग लामबंद होकर कांग्रेस को वोट करने के मूड में दिखाई दे रहा है।