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उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद सदर सीट पर उपचुनाव में रालोद नेताओं की नजर

Neeraj Jha
24 Jun 2024 7:43 AM GMT
गाजियाबाद सदर सीट पर उपचुनाव में रालोद नेताओं की नजर
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गाजियाबाद। शहर विधानसभा सीट से विधायक अतुल गर्ग के सांसद बनने के बाद विधायक पद से इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव को लेकर भाजपा सहित कई दलों के नेता चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। शहर सीट पर भाजपा के विधायक थे, इसलिए इस सीट पर भाजपा ही अपनी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारकर अपनी सीट बरकार रखना चाहती है।

हालांकि अभी उपचुनाव की तिथि की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन उपचुनाव में उम्मीदवारी को लेकर भाजपा के साथ-साथ अन्य दलों के नेताओं ने भी अपने राजनीतिक आकाओं की परिक्रमा लगानी शुरू कर दिए दी है। महानगर में अब तक जो राजनीति हालात हैं, उनके आधार पर उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा व सपा-कांग्रेस गठबंधन होने के बीच होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले साल हुए स्थानीय निकाय चुनाव में सपा-रालोद का गठबंधन था। गाजियाबाद मेयर सीट पर सपा ने अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा था। यह बात अलग है कि सपा के पार्टी सिंबल पर बसपा नेता सिकंदर यादव की पत्नी चुनाव मैदान में थी। सपा-रालोद का गठबंधन ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ और सपा मेयर प्रत्याशी चौथे स्थान पर रही थीं। वर्तमान में रालोद-भाजपा साथ साथ हैं। इसलिए रालोद नेता भी उपचुनाव में इस सीट पर चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रहे हैं। एक रालोद नेता ने इस संबंध में मीडिया में बयान देकर इस मंशा को हवा देने का काम भी किया है।

हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि आखिर किस आधार पर रालोद नेता उपचुनाव में शहर सीट को अपनी पार्टी के खाते में देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि शहर सीट पर भाजपा के पास थी और भाजपा इस सीट को किसी अन्य सहयोगी दल को क्यों देगा, जबकि उसके लिए इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना पहली प्राथमिकता है। उधर रालोद के एक नेता के बयान के बाद अन्य रालोद नेताओं ने इस तरह के बयान को पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के निर्देशों का खुला उल्लंघन मान रहे हैं। रालोद में एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व की ओर से पिछले सप्ताह ही किसी भी नेता को गठबंधन अथवा पार्टी के स्टैंड को लेकर मीडिया में किसी भी तरह का बयान न देने का निर्देश दिया है। केवल अधिकृत प्रवक्ता ही पार्टी अध्यक्ष से बात करके मीडिया में बयान दे सकते हैं। उनका कहना है कि रालोद नेताओं को सीधे मीडिया में बयान देने की बजाय अपनी मांग को सीधे रालोद मुखिया जयंत चौधरी को लिखित रुप से भेजनी चाहिए। उपचुनाव में किसी भी तरह की निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे, न कि स्थानीय नेताओं कोई निर्णय ले सकते हैं।

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