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उत्तर प्रदेश

राम जन्मे तो एक माह तक नहीं हुई थी रात, 27 साल बाद आठ योग, कर्क लग्न और पुष्य नक्षत्र में मनाया जा रहा जन्मोत्सव

Sonali Chauhan
17 April 2024 1:03 PM IST
राम जन्मे तो एक माह तक नहीं हुई थी रात, 27 साल बाद आठ योग, कर्क लग्न और पुष्य नक्षत्र में  मनाया जा रहा जन्मोत्सव
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अयोध्या। चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि पर श्रीरामलला का जन्म हुआ था। इस बार उनके जन्म पर महायोग बन रहा है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री और आचार्य शुभम मिश्र ने बताया कि इस बार प्रभु श्रीराम के जन्म पर गजकेसरी, पर्वत, मालव्य पंच महापुरुष, पाराशरी राजयोग, अमला, वोशी, धन और रवि योग बन रहा है।इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में और कर्क लग्न और सूर्य मेष राशि के दसवें घर में होंगे जबकि पुष्य नक्षत्र रहेगा। हालांकि इस बार रामनवमी पर अभिजीत मुहूर्त नहीं बन रहा है जबकि प्रभु के जन्म के समय यही मुहूर्त था।पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्रीराम के जन्म के समय एक माह तक रात नहीं हुई थी।

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री और आचार्य शुभम मिश्र ने बताया कि इस बार प्रभु श्रीराम के जन्म पर गजकेसरी, पर्वत, मालव्य पंच महापुरुष, पाराशरी राजयोग, अमला, वोशी, धन और रवि योग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में और कर्क लग्न और सूर्य मेष राशि के दसवें घर में होंगे जबकि पुष्य नक्षत्र रहेगा। हालांकि इस बार रामनवमी पर अभिजीत मुहूर्त नहीं बन रहा है। प्रभु के जन्म के समय यही मुहूर्त था।

भगवान राम का जन्म हुआ था तो उनकी कुंडली में गजकेसरी राजयोग था। जिनकी कुंडली में गजकेसरी जैसा राजयोग होता है, उन्हें गज जैसी शक्ति और धन की प्राप्ति होती है। इस साल ऐसा राजयोग बन भी रहा है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि गजकेसरी योग के प्रभाव से व्यक्ति दयालु, परोपकारी, लक्ष्मीवान और यशस्वी होता है।

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार सुबह 11:03 से दोपहर 12:20 तक, पुण्यकाल मुहूर्त सुबह 11:10 से दोपहर 12.20 बजे तक, हवन का शुभ विजय मुहूर्त दोपहर 2:34 से 3:24 तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 6:47 से 7:09 तक और संध्याकाल में 6:48 से 07:56 तक पूजा होगी।

प्रभु जन्मे तो एक माह तक नहीं हुई थी रात

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री का कहना है कि पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्रीराम के जन्म के समय एक माह तक रात नहीं हुई थी। भगवान श्रीराम का अयोध्या में जन्म हुआ तो चारों ओर उल्लास था। देवता और सूर्य नारायण अति प्रसन्न थे।

सूर्य इसलिए प्रसन्न थे कि प्रभु ने मेरे वंश में अवतार लिया है। वह खुशी में क्षण भर के लिए रुक गए और अपना रथ हांकना भूल गए। मान्यता है कि इसलिए सूर्य की गति थम गई। इस वजह से एक महीने तक रात नहीं हुई थी।

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