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उत्तर प्रदेश

ट एंड रन कानून का यूपी के कई जिलों में विरोध, थमे लाखों ट्रकों-बसों के पहिए; यात्री परेशान

Sanjiv Kumar
2 Jan 2024 11:56 AM IST
ट एंड रन कानून का यूपी के कई जिलों में विरोध, थमे लाखों ट्रकों-बसों के पहिए; यात्री परेशान
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उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हिट एंड रन कानून के विरोध में हड़ताल और प्रदर्शन हो रहे हैं। ठिठुरन भरी ठंड में बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। बाराबंकी जिले में सोमवार को कई जगह ट्रक व अन्य वाहनों के चालकों ने सड़क पर प्रदर्शन किया।

उत्तर प्रदेश समेत देशभर में केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून का जमकर विरोध हो रहा है। कई संगठन इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। कई जिलों में आज भी चक्का जाम और बसों-ट्रकों की हड़ताल रहेगी। प्राइवेट बसों ट्रकों से लेकर सरकारी महकमें की बसें भी शामिल रही। ज्यादातर राज्यों के हाईवेज पर न सिर्फ ट्रक और प्राइवेट बस खड़ी हो गई। दरअसल, हिट एंड रन के नए कानून के तहत केंद्र सरकार ने 10 साल की सजा एवं 10 लाख जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू किया है।

नोएडा से लेकर बरेली तक विरोध

केंद्र सरकार के हिट एंड रन कानून के विरोध में निजी बसों के संचालकों की तीन दिवसीय हड़ताल का ग्रेटर नोएडा में व्यापक असर दिखा। हड़ताल से लंबी दूरी के यात्री सबसे ज्यादा हलकान दिखे। ठिठुरन भरी ठंड में बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। बाराबंकी जिले में सोमवार को कई जगह ट्रक व अन्य वाहनों के चालकों ने सड़क पर प्रदर्शन किया। इस दौरान बाराबंकी बहराइच हाईवे आधा घंटे बाधित रहा। पुलिस ने 12 चालकों पर पाबंदी की कार्रवाई की है। वाहन चालकों ने बरेली-शाहजहांपुर हाईवे सहित जिले में कई जगह जाम भी लगाया। ईंधन व अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित रही। मंगलवार और बुधवार को भी चालक हड़ताल पर रहेंगे।

हड़ताल से लगभग डेढ़ करोड़ का नुकसान

मुजफ्फरनगर में ट्रक, रोडवेज, प्राइवेट बसों समेत करीब छह हजार वाहनों के पहिए थम गए। ट्रांसपोर्ट, परिवहन निगम और प्राइवेट बसों को हड़ताल से लगभग डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ। प्राइवेट वाहनों के चालकों ने टेंपो, ई-रिक्शा को रोककर यात्रियों को उतार दिया। वहीं गाजीपुर में कानून के खिलाफ निजी बसों के चालक और परिचालक सोमवार को हड़ताल पर रहे। इससे 235 प्राइवेट बसों के पहिये थम गए। लंका बस स्टैंड पर प्राइवेट बसों के चालकों और परिचालकों ने प्रदर्शन किया।

फंसी रही आठ एंबुलेंस

यूपी के बस्ती जिले में हाईवे एवं विभिन्न मार्गों पर मरीजों को लेकर जा रही 8 एंबुलेंस फंस गई। आंदोलनकारियों ने एंबुलेंस को निकालने में कोई मदद नहीं की। बाद में यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस उच्चाधिकारियों को लोकेशन के साथ दी। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। तब जाकर एंबुलेंस को जाम से निकाला जा सका।

मथुरा में भी कानून का जमकर विरोध

हिट एंड रन केस संबंधी कानून में कड़ी सजा के प्रावधानों के विरोध में सोमवार सुबह ट्रक चालकों ने आगरा-दिल्ली हाईवे की दोनों लेन पर जाम लगा दिया। करीब पांच घंटे तक भीषण जाम में फंसे निजी वाहनों में सवार लोग कराह उठे। महिलाएं और बच्चे बिलख उठे। पीने के पानी और शौच के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। आगरा से दिल्ली की तरफ टाउनशिप से लेकर करीब 10 किलोमीटर तक हजारों वाहनों की कतार लगी रही। नए कानून के विरोध में लखीमपुर व गोला डिपो, प्राइवेट व टूरिस्ट बसों को मिलाकर करीब 900 बसों के पहिए थमे रहे। इनमें लखीमपुर व गोला डिपो की बसों की संख्या 202 है।

750 ट्रक हड़ताल में फंसे

शामली आईआईए के चेयरमैन आशीष जैन ने बताया कि हड़ताल से शामली से हरियाणा- पंजाब, उत्तराखंड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलो के बागपत- शामली, सहारनपुर में 750 ट्रक हड़ताल में फंस गए हैं। जिसे व्यापार भी प्रभावित होगा।

दूध, सब्जी और फल की आपूर्ति पर पड़ेगा असर

सब्जी आढ़ती बाबूराम सैनी ने बताया कि सोमवार को सुबह दिल्ली से फल- सब्जी कम संख्या में आई है। मंगलवार को ट्रक और टेंपो चालकों की हड़ताल से दिल्ली और दूसरे राज्यों से फल सब्जी नहीं आएगी। जिससे रेट पर भी फर्म पड़ सकता है।

30 घंटे में बाजपुर से शामली पहुंचा

भाजपा नेता राजन बत्रा ने बताया कि उनकी फैक्टरी का एक कर्मचारी उत्तराखंड में बाजपुर में एक रस्म पगड़ी में गया था। वह रविवार को दोपहर बाद बाजपुर से चला। किंतु बस चालकों की हड़ताल के कारण शाम को शामली पहुंचा। करीब 30 घंटे का समय लगा। मुन्नी देवी करनाल जाने के लिए बस का इंतजार बस अड्डे पर कर रही थी। बड़ौत की महिला सोहनवीरी अपने पुत्र के साथ शामली आई। बसों की हड़ताल से शामली बस अड्डे पर निगम की बस का इंतजार करती रही।

42 अनुबंधित बसों के मालिकों को नोटिस भेजे

सहारनपुर मंडल के कार्यवाहक आरएम का कार्यभार देख रहे गौरव पांडे ने बताया कि शामली में 42 अनुबंधित बस मालिकों को कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। इन बस मालिकों ने बसों का संचालन बंद करने से पहले प्रार्थनापत्र दाखिल नहीं किए थे।

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