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जेपी-विनोबा की विरासत के ध्वस्तीकरण के खिलाफ आक्रोश में लोग
वाराणसी- जिला प्रशासन सर्व सेवा संघ भवन पर आज यानी शुक्रवार को बुलडोजर चलाएगा। महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण और संत विनोबा की विरासत अतीत हो जाएगी। ध्वस्तीकरण के विरोध में लोगों ने राजघाट में संघ के भवन के गेट पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। नर्मदा आंदोलन की नेता मेधा पाटकर भी यहां पहुंच सकती हैं।
वहीं, महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी, प्रियंका गांधी, मेधा पाटकर, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी समेत तमाम नेताओं ने इसे बचाने की अपील की है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को सर्वधर्म संघ की ओर से पत्र भी भेजा गया है।
भवन को बचाने के लिए कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के नेता आज राजघाट पर पहुंच सकते हैं। सर्वधर्म संघ के पदाधिकारियों ने कहा, हम भवन पर चलने वाले बुलडोजर के विरोध में सत्याग्रह करेंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी और JNU समेत कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, रिटायर्ड साहित्यकार, नर्मदा आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, प्रो.आनंद कुमार, डॉ. सुनील, रघु ठाकुर, विजय नारायण, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, MLC आशीष सिन्हा, कांग्रेस पार्टी के अजय राय, संजीव सिंह शामिल हो सकते हैं।1948 में संघ बना, 1961 में भवन तैयार
गांधी विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में करीब 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। इसका मकसद महात्मा गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डा. आनंद किशोर ने बताया कि वर्ष 1960 में इस जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना के प्रयास शुरू हुए। भवन का पहला हिस्सा 1961 में बना था। 1962 में जय प्रकाश नारायण खुद यहां रहे थे।
11 साल में 3 बार में खरीदी गई जमीनें
अध्यक्ष चंदन पाल के अनुसार, आचार्य विनोबा भावे की पहल पर ये जमीनें सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदी हैं। डिवीज़नल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं।
यह भवन 3 बार में पूरा बन सका था। जैसे-जैसे जमीनें खरीदी जाती रही, वैसे-वैसे भवन बनता चला गया। करीब 1971 तक यहां निर्माण 3 बार में पूरे हुआ। दावा है कि यह भवन गांधी स्मारक निधि और जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए दान-संग्रह से बनवाया गया था।