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12 नवंबर तक नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य, जाने क्या है वजह
गाजियाबाद। 12 नवंबर तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होंगे। दरअसल 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी शुरू हो रहा है और इस दिन से ही भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
इस मामले में जानकारी देते हुए सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से श्रीहरि 4 मास के लिए योग निंद्रा में चले जाएंगे। ऐसे में 4 मास तक सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे। भगवान विष्णु 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी को योग निंद्रा से बाहर आएंगे और तभी मांगलिक कार्य हो सकेंगे।
गिरी महाराज ने कहा कि चातुर्मास का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है। चातुर्मास में एक ही जगह रहकर पूजा-अर्चना व साधना की जाती है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। चातुर्मास के दौरान ही बरसात का मौसम भी आता है, जिससे जमीन के अंदर रहने वाले छोटे-छोटे जीव भी बाहर आ जाते हैं। उन्हें कोई नुकसान ना पहुंचे, इसके लिए एक ही जगह रहकर पूजा-अर्चना व साधना की जाती है।
चातुर्मास के दौरान ही श्रावण शिवरात्रि, हरियाली तीज, रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व जैसे पर्व भी आते हैं। भगवान विष्णु के योगनिंद्रा में जाने के कारण सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव निभाते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु शयन काल में होते हैं,अतः इस दौरान शादी- विवाह, मुंडन, जनेऊ, नया वाहन खरीदना, नई प्रॉपर्टी खरीदना, घर का निर्माण करना, नया बिजनेस शुरू करना, भूमि पूजन करना आदि मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।
चातुर्मास में ध्यान, योग, साधना और तप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। कई लोग 4 महीने तक कुछ समय के लिए मौन धारण भी करते हैं। चातुर्मास में सुबह और शाम भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। उनके साथ मां लक्ष्मी, भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश जी, राधा रानी, भगवान राम, भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी जी की पूजा करने से भी साधकों के सभी कष्ट दूर होते हैं।