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मुख्तार की मौत मामले में नई बात आई सामने; जब भी डॉक्टर देखने जाते, करता था एक ही शिकायत
बांदा व चित्रकूट जेल में भी मुख्तार के सुपुर्द-ए-खाक होने के वक्त मुस्लिम बंदियों ने मगफिरत की अल्लाह से दुआ की। बांदा जेल में मुख्तार अंसारी लंबे समय तक रहा।
बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। परिजन इसे स्वाभाविक मौत नहीं मान कर हत्या के आरोप रहे हैं। वहीं सूत्रों से पता चला है कि मुख्तार को पेट की तकलीफ तो थी। उन्होंने बताया कि इस बात की पुष्टि इस बात से भी होती है कि जब भी कोई डॉक्टर उसे देखने जेल जाता था तो वह अपने दोनों हाथ पेट पर रखकर कहता था, इसका कुछ करो डॉक्टर साहब, यह पेट तो लगता है कि जान ही लेकर छोड़ेगा।
7.6 फुट की कब्र में किया गया सुपुर्द-ए-खाक
मुख्तार को शनिवार सुबह 10.40 पर सुपुर्दे खाक किया गया। शुक्रवार रात 1.15 मिनट पर मुख्तार का शव गाजीपुर के मुहम्मदाबाद स्थित पैतृक घर ‘फाटक’ पहुंचा था। 9 घंटे शव घर पर रहा। पूरी रात रखे जाने के बाद सुबह छह बजे उसे निकाला गया और परिवार, करीबियों ने आखिरी बार चेहरा देखा। इसके बाद कालीबाग स्थित कब्रिस्तान में करीब 24 घंटे पहले खोदकर तैयार की गई 7.6 फुट लंबी और पांच फुट गहरी और चौड़ी कब्र में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
बंदियों ने सुपुर्द-ए-खाक के समय की मगफिरत की दुआ
बांदा व चित्रकूट जेल में भी मुख्तार के सुपुर्द-ए-खाक होने के वक्त मुस्लिम बंदियों ने मगफिरत की अल्लाह से दुआ की। बांदा जेल में मुख्तार अंसारी लंबे समय तक रहा। वर्ष 2016 में आने के बाद कुछ दिनों के लिए पंजाब गया और फिर वापस बांदा जेल आ गया। जेल के बंदी उसे बेहद पसंद करते थे। वजह थी कि वह रमजान जैसे त्योहार पर गरीब बंदियों की मदद करता था।
उमर ने पिता की मूंछों पर दिया आखिरी बार ताव
फाटक से जनाजा उठने से पहले बेटे उमर ने मुख्तार अंसारी की मूंछों पर आखिरी बार ताव दिया। मुख्तार अपनी मूंछों पर ताव देने के लिए मशहूर था। उमर अंसारी बांदा से अपने पिता के शव वाहन के साथ आया था। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वह अपने पिता मुख्तार अंसारी की मूंछों को ताव देता नजर आ रहा है।
पिछले कई दिन से मुख्तार की तबीयत थी खराब
पूर्वांचल के डॉन कहे जाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार की रात मौत हो गई थी। पिछले कई दिन से मुख्तार की तबीयत खराब चल रही थी। इससे पहले भी जेल से मुख्तार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि इलाज के बाद मुख्तार को वापस जेल भेज दिया गया था। गुरुवार को अचानक फिर से मुख्तार की तबीयत बिगड़ी, आनन फानन उसे मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया। यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की पुष्टि की।