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बेसहारा बच्चों के लिए 'सरस्वती' बनी नीरजा, तैयार कर रही हैं कलम का सिपाही
-तीन साल में 16 बच्चों का सराकारी और निजी स्कूल में कराया दाखिला
गाजियाबाद। इंदिरापुरम में एनटीपीसी से रिटायर नीरजा सक्सेना फुटपाथ के बच्चों के लिए मसीहा साबित हो रही हैं। दरअसल नीरजा सक्सेना 63 साल की उम्र में फुटपाथ के बच्चों को साक्षर करने में जुटी हैं। वह पिछले तीन साल से बच्चों को साक्षर करने में लगी हुई हैं। वह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को न केवल शिक्षित कर रही हैं बल्कि संस्कारित कर नेक इंसान भी बना रही हैं।
इंदिरापुरम निवासी नीरजा सक्सैना ने बताया कि वह 2019 से पहले एनटीपीसी नोएडा में नौकरी करती थी। वह 2019 अगस्त में सेवानिवृत्त हो गईं। इसके बाद कोरोना आते ही जब लोग अपने घरों में कैद हो गए थे उस दौरान उन्होंने दूसरों की मदद करना शुरू किया। कोविड के दौरान उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को खाना बांटना शुरू किया। कोरोना खत्म होने के बाद सोसायटी के पास ही खाना बांटती रही। वहां खाना लेने छोटे-छोटे बच्चे आते थे और वह स्कूल नहीं जाते थे। तब उन्हें फुटपाथ पर चादर बिछाकर पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चों के लिए सारी व्यवस्था करनी शुरू की।
बता दें कि बच्चों को तीन अलग-अलग समूहों में पढ़ाया जाता है। जिन बच्चों के नए दाखिले होते हैं। उन्हें ए ग्रुप में रखा जाता है। जो बच्चे एक साल पढ़ लेते हैं, उन्हें बी ग्रुप में रखा जाता है और जो बच्चे स्कूल में दाखिले लेने योग्य हो जाते हैं, उन्हें सी ग्रुप में रखा जाता है। सी ग्रुप के बच्चों का हर साल सरकारी और निजी स्कूल में दाखिला दिया जाता है। तीन साल में 16 बच्चों का स्कूल में दाखिला करवा चुकी हैं।