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पहली सूची में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा का नाम नहीं, बदायूं से कौन होगा प्रत्याशी?

Shashank
3 March 2024 1:01 PM IST
पहली सूची में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा का नाम नहीं, बदायूं से कौन होगा प्रत्याशी?
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भाजपा की पहली सूची में बदायूं लोकसभा सीट से प्रत्याशी का नाम नहीं है। इस सीट से मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य समेत सात लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। प्रत्याशी कौन होगा, इस पर फिलहाल असमंजस बरकरार है।

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्रदेश की 51 सीटों के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी, लेकिन बदायूं से अपने पत्ते नहीं खोले। वजह विपक्षी पार्टी की दमदार दावेदारी के साथ-साथ पार्टी के सात उम्मीदवारों के आवेदन को माना जा रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी का चेहरा चौंकाने वाला हो सकता है। ऐसे में बदायूं से मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

डॉ. संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा से 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बगावत कर सपा में शामिल हो गए थे। अब उन्होंने सपा से भी बगावत कर अपनी पार्टी बना ली है। पिता-पुत्री के संबंधों को लेकर जिले की राजनीति गरमाई रहती है। विधानसभा चुनाव के दौरान डॉ. संघमित्रा मौर्य की भूमिका को लेकर सवाल भी उठे थे।

ये हैं टिकट के दावेदार

मौजूदा सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य, एमएलसी वागीश पाठक, पूर्व एमएलसी जितेंद्र यादव, पूर्व विधायक सिनोद शाक्य, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम यादव और गुन्नौर के पूर्व विधायक अजीत यादव और पूर्व विधायक धर्मेंद्र शाक्य।

अजीत यादव सपा, सिनोद शाक्य बसपा और फिर सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। एमएलसी चुनाव में सपा ने सिनोद शाक्य और भाजपा ने वागीश पाठक को प्रत्याशी बनाया था। सिनोद शाक्य ने ऐन मौके पर पर्चा वापस ले लिया और वागीश पाठक निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे।

ये है वोटों का गणित

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में बदायूं सदर समेत बिल्सी, बिसौली, सहसवान और संभल जिले का गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र आता है। लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 3.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। यादव मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है।

मौर्य-शाक्य दो लाख, अनुसूचित जाति एक लाख आठ हजार, क्षत्रिय 1.30 लाख, वैश्य 1.40 लाख, ब्राह्मण 1.60 लाख, लोधे राजपूत 75, कश्यप 55, साहू 50, गड़िरिया 40 हजार और अन्य मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है। ऐसे में बदायूं लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को जातिगत गणित भी साधना होगा। इसके अलावा यादव-मुस्लिम मतदाताओं को भी एकमुश्त सपा के पक्ष में आने से रोकना होगा।

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