Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में छह लाख से ज्यादा लोग मधुमेह रोग से पीड़ित

Nandani Shukla
29 Nov 2024 12:06 PM IST
गाजियाबाद में छह लाख से ज्यादा लोग मधुमेह रोग से पीड़ित
x

पेनक्रियाज के बिगड़ने से बढ़ रहा है मधुमेह रोग

कम उम्र के बच्चों में भी हो रहा है मधुमेह

मोहसिन खान

गाजियाबाद। जनपद में छह लाख से ज्यादा लोग मधुमेह रोग से पीड़ित हैं। गाजियाबाद के निजी डॉक्टरों, सरकारी और निजी अस्पतालों में इनका उपचार किया जा रहा है। बदलती जीवनशैली और खानपान इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। मधुमेह से बचाव के लिए जरूरी है कि भागदौड़ की जिंदगी से डेढ़ घंटे का समय निकालकर अपने शरीर को ध्यान में रखें। प्रतिदिन 45 से 90 मिनट तक योग और व्यायाम करें।

मधुमेह जागरूकता अभियान के लिए हर साल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गाजियाबाद शाखा द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। सरकारी स्तर पर भी मधुमेह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होते हैं। आईएमए के मधुमेह रोग के कार्यक्रम संयोजक डा. प्रहलाद चावला का कहना है कि बदलती जीवनशैली और दिनचर्या की वजह से जिले में 12.50 प्रतिशत लोग मधुमेह से ग्रसित हैं। इसके अलावा 15.30 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज के शिकार हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत मरीजों को अंततः मधुमेह हो जाता है। डा. प्रहलाद चावला ने बताया कि मधुमेह रोग के छह महत्वपूर्ण कारक होते हैं, जिनमें स्मोकिंग, नमक, सेनेट्री लाइफस्टाइल, नींद, शुगर और स्ट्रेस शामिल हैं। इनका बिगड़ना लोगों को मधुमेह का शिकार बना रहा है। 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग यह नहीं जानते कि उन्हें यह रोग हो चुका है, और जब पता चलता है, तब तक शरीर को काफी नुकसान हो चुका होता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले की कुल आबादी 50 लाख है, जिनमें से छह लाख से ज्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।

किशोर आयु में भी मिल रहे रोगी

डा. चावला के मुताबिक, पिछले पांच साल में मधुमेह के मामलों में बहुत तेजी से बदलाव आया है। पहले जहां 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को मधुमेह का खतरा रहता था, वहीं अब यह गंभीर बीमारी महज 14 साल की आयु में भी देखी जाने लगी है। डॉ. चावला ने बताया कि उनके पास 14 से 20 वर्ष की आयु के कई किशोर और युवा टाइप-2 मधुमेह की शिकायत के साथ आए हैं। उनके पास आने वाले मरीजों में 40 प्रतिशत लोग 40 साल से अधिक आयु के होते हैं।

शारीरिक श्रम कम होने से बढ़ रहा है रोग

एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा का कहना है कि मधुमेह होने का प्रमुख कारण लापरवाही है। सामाजिक परिवेश में बदलाव के साथ लोगों की शारीरिक गतिविधि बहुत कम हो गई है। अक्सर लोग पैरों का सुन्न होना, आंखों से कम दिखना, खुजली होना या गुप्तांगों में एलर्जी की शिकायत होने पर ही डॉक्टर के पास जाते हैं, और जांच में उन्हें मधुमेह का पता चलता है। मामूली बढ़ी हुई मधुमेह भी लंबे समय तक रही तो शरीर के कई अंगों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि शुरुआती लक्षण सामने आते ही जांच करवाएं और उपचार शुरू कर दें।

Next Story