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रंगदारी मामले में विधायक को मिली जमानत, जाजमऊ आगजनी मामले में बचाव पक्ष ने की बहस
रंगदारी के मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पर्याप्त आधार पाते हुए इरफान की जमानत स्वीकार कर ली। वहीं, जाजमऊ आगजनी मामले में बचाव पक्ष ने सोमवार को एमपीएमएलए सेशन कोर्ट में आगे की बहस की।
कानपुर के जाजमऊ थाने में एक साल पहले विमल कुमार द्वारा दर्ज कराए गए रंगदारी के मामले में विधायक इरफान सोलंकी को एमपीएमएलए सेशन कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र नाथ त्रिपाठी ने जमानत दे दी है। कोर्ट ने 50-50 हजार की दो जमानतों व निजी मुचलके पर इरफान की रिहाई के आदेश दे दिए हैं। हालांकि अन्य मुकदमों में जमानत न होने के कारण अभी इरफान जेल में ही रहेंगे।
जाजमऊ के दुर्गा विहार निवासी विमल कुमार ने विधायक इरफान सोलंकी, बिल्डर हाजी वसी, शाहिद लारी व कमर आलम के खिलाफ जाजमऊ थाने में 25 दिसंबर 2022 को रंगदारी वसूलने, धोखाधड़ी व गाली-गलौज करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विमल का आरोप है कि उसने जाजमऊ में 350 वर्ग गज जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के जरिए कब्जा लिया था।
इस जमीन को विधायक ने साथियों के साथ मिलकर हड़प लिया और रंगदारी न देने पर जानमाल की धमकी दी। मामले में इरफान सोलंकी, हाजी वसी व कमर आलम के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी जा चुकी है जबकि शाहिद लारी को पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी। कमर को अग्रिम जमानत भी मिल चुकी है। इरफान की ओर से पहले भी दो जमानत अर्जियां दाखिल की गई थीं, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था।
कोर्ट ने पर्याप्त आधार पाते हुए इरफान की जमानत स्वीकार की
तीसरी जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने तर्क रखा कि विवादित जमीन का विमल ने एग्रीमेंट तो कराया था, लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं था। विमल ने जमीन के वास्तविक मालिक के खिलाफ भी एक दीवानी वाद कोर्ट में दाखिल कर रखा है। सिर्फ अवैध वसूली के लिए विमल द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। वहीं एडीजीसी भास्कर मिश्रा ने तर्क रखा कि विमल कुमार की जमीन पर कब्जा कर बाउंड्रीवाल गिरा दी गई। रंगदारी मांगी गई तथा गाली-गलौज कर धमकी दी गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पर्याप्त आधार पाते हुए इरफान की जमानत स्वीकार कर ली।
प्लॉट में आगजनी मामले में बचाव पक्ष ने की बहस
जाजमऊ आगजनी मामले में बचाव पक्ष ने सोमवार को एमपीएमएलए सेशन कोर्ट में आगे की बहस की। इरफान के अधिवक्ता सईद नकवी, करीम अहमद सिद्दीकी व शिवाकांत दीक्षित ने कहा कि प्लाट पर न तो पानी की सुविधा है और न ही शौचालय की। ऐसे में कोई प्लाट पर कैसे रह सकता है। नजीर फातिमा का कहना है कि वह प्लाट पर रहती थीं।
न पानी, न शौचालय तो कोई कैसे रह सकता है
लेकिन घटनास्थल पर ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं। कोई महिला अपना पक्का मकान छोड़कर परिवार सहित झोपड़ी में क्यों रहेगी। जहां परिवार रहता है, वहां घरेलू सामान भी होता है, लेकिन आगजनी वाली जगह से ऐसा कुछ नहीं मिला। रिजवान सोलंकी प्लाट के मालिक हैं और उनके घर का बेकार सामान वहां पड़ा था जिसमें आग लगी है न कि नजीर के घर पर। मंगलवार को भी बहस जारी रहेगी।